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गौठान छत्तीसगढ़ की प्राचीन ग्रामीण परम्परा का हिस्सा-भूपेश

गौठान छत्तीसगढ़ की प्राचीन ग्रामीण परम्परा का हिस्सा-भूपेश

धमतरी, 07 जून (वार्ता) छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गौठान छत्तीसगढ़ की प्राचीन ग्रामीण परम्परा का अभिन्न हिस्सा हैं।

श्री बघेल आज यहां जिले के कुरूद विकासखंड के ग्राम हंचलपुर में सुराजी गांव योजना के तहत बनाये गए आदर्श गौठान का लोकार्पण करते हुये गांव में चौपाल लगाकर ग्रामीणों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ’नरवा, गरूवा, घुरूवा अउ बाड़ी’ योजना के माध्यम से गांवों में गौठानों को व्यवस्थित किया जा रहा है। ये गोठान गायों के नस्ल सुधार के साथ ही किसानों और समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे। ग्राम हंचलपुर में 940 मवेशियों के लिए लगभग 9 एकड़ के रकबे में आदर्श गौठान बनाया गया है।

उन्होंने बताया कि नरवा संरक्षण के तहत गौठान के नजदीक देमार नाला में करीब 50 लाख की लागत से स्टॉप डेम बनाया गया है, जिससे पशुओं को पीने का पानी मिलेगा और इस पानी का उपयोग निस्तार और सिंचाई के लिए भी किया जा सकेगा। गौठान में बरगद का पौधा भी रोपा। उन्होंने यहां महिला समूह से चर्चा कर गौमूत्र, गोबर, नीम से निर्मित कीट नाशक और जैविक खाद की जानकारी ली तथा कहा कि इसी तरह इस कार्य में अधिक से अधिक महिलाएं जुड़कर आत्मनिर्भर बने।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गायों को पालने में सबसे बड़ी समस्या उनके चारा और पानी की रहती है। गांवों में गौठानों में न केवल उनके चारा और पानी की व्यवस्था की गई है बल्कि ये एक डे केयर सेंटर के रूप में रहेंगे। पहले किसानों को मवेशियों से फसल बचाने के लिए गांव के सभी खेतों की फेसिंग करना पड़ता था परंतु अब गौठान बन जाने से उन्हें इसमें पैसा खर्च नही करना पड़ेगा और अब आसानी से वे दो फसल ले सकेंगे। गोबर से अभी लोग सिर्फ छेना (कंडा) बनाते है परंतु गौठानों में निकलने वाले गोबर को यहां गौबर गैस प्लांट बनाकर पूरे गांव में पाईपलाईन के माध्यम से गोबर गैस एलपीजी की तुलना में आधे दाम में आसानी से मिल सकेगी।

उन्होंने कहा कि इसी तरह नरवा के संरक्षण से भू-जल स्तर में सुधार के साथ ही बोर, तालाब और कुंआ में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। बाड़ियों में हरी और जैविक सब्जियों से जहां लोगों की सेहत सुधरेगी वहीं इसे बेचकर वो आमदनी भी प्राप्त कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने चैपाल में ग्रामीणों से सीधे बातचीत की और उनके सवालों का जवाब दिया।

सं नाग

वार्ता

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