Wednesday, Apr 24 2024 | Time 01:57 Hrs(IST)
image
मनोरंजन


गुलाम हैदर ने पहचाना था लता की प्रतिभा को

गुलाम हैदर ने पहचाना था लता की प्रतिभा को

(पुण्यतिथि नौ नवंबर के अवसर पर)

मुंबई 08 नवंबर (वार्ता) लता मंगेशकर के सिने करियर के शुरूआती दौर में कई निर्माता-निर्देशक और संगीतकारों ने पतली आवाज के कारण उन्हें गाने का अवसर नहीं दिया लेकिन उस समय एक संगीतकार ऐसे भी थे जिन्हें लता मंगेशकर की प्रतिभा पर पूरा भरोसा था और उन्होंने उसी समय भविष्यवाणी कर दी थी ..यह लड़की आगे चलकर इतना अधिक नाम करेगी कि बड़े से बड़े निर्माता, निर्देशक और संगीतकार उसे अपनी फिल्म में गाने का मौका देंगे। यह संगीतकार थे..गुलाम हैदर।

वर्ष 1908 में जन्मे गुलाम हैदर ने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद दंत चिकित्सा की पढ़ाई शुरू की थी। इस दौरान अचानक उनका रुझान संगीत की ओर हुआ और उन्होंने बाबू गणेश लाल से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी। दंत चिकित्सा की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह दंत चिकित्सक के रूप में काम करने लगे। पांच वर्ष तक दंत चिकित्सक के रूप में काम करने के बाद गुलाम हैदर का मन इस काम से उचट गया। उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि संगीत के क्षेत्र में उनका भविष्य अधिक सुरक्षित होगा। इसके बाद वह कलकत्ता की एलेक्जेंडर थियेटर कंपनी में हारमोनियम वादक के रूप में काम करने लगे।

वर्ष 1932 में गुलाम हैदर की मुलाकात निर्माता-निर्देशक ए आर कारदार से हुयी जो उनकी संगीत प्रतिभा से काफी प्रभावित हुये। कारदार उन दिनों अपनी नयी फिल्म “स्वर्ग की सीढ़ी” के लिये संगीतकार की तलाश कर रहे थे। उन्होंने हैदर से अपनी फिल्म में संगीत देने की पेशकश की लेकिन अच्छा संगीत देने के बावजूद फिल्म बॉक्स आफिस पर असफल रही। इस बीच गुलाम हैदर को डी एम पंचोली की वर्ष 1939 में प्रदर्शित पंजाबी फिल्म “गुल-ए-बकावली” में संगीत देने का मौका मिला। फिल्म में नूरजहां की आवाज में गुलाम हैदर का संगीतबद्ध गीत “पिंजरे दे विच कैद जवानी” उन दिनों सबकी जुबान पर था। वर्ष 1941 गुलाम हैदर के सिने कैरियर का अहम वर्ष साबित हुआ। फिल्म “खजांची” में उनके संगीतबद्ध गीतों ने भारतीय फिल्म संगीत की दुनिया में एक नये युग की शुरुआत कर दी।

वर्ष 1930 से 1940 के बीच संगीत निर्देशक शास्त्रीय राग-रागिनियों पर आधारित संगीत दिया करते थे लेकिन गुलाम हैदर इस विचारधारा के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत में पंजाबी धुनों का मिश्रण करके एक अलग तरह का संगीत देने का प्रयास दिया और उनका यह प्रयास काफी सफल भी रहा। वर्ष 1946 में प्रदर्शित फिल्म “शमां” में अपने संगीतबद्ध गीत “गोरी चली पिया के देश” हम गरीबों को भी पूरा कभी आराम कर दे, और “एक तेरा सहारा” में उन्होंने तबले का बेहतर इस्तेमाल किया जो श्रोताओ को काफी पसंद आया। इस बीच, उन्होंने बांबे टॉकीज के बैनर तले बनी फिल्म “मजबूर” के लिये भी संगीत दिया।

प्रेम, उप्रेती

जारी वार्ता

More News
आमिर खान ने लांच किया फ़िल्म श्रीकांत - आ रहा है सबकी आखें खोलने का गाना पापा कहते - 2.0

आमिर खान ने लांच किया फ़िल्म श्रीकांत - आ रहा है सबकी आखें खोलने का गाना पापा कहते - 2.0

23 Apr 2024 | 8:18 PM

मुंबई, 23 अप्रैल (वार्ता) बॉलीवुड अभिनेता आमिर ख़ान ने राजकुमार राव की फ़िल्म श्रीकांत - आ रहा है सबकी आंखें खोलने का गाना *पापा कहते - 2.0 रिलीज किया है।

see more..
प्रशांत वर्मा ने रिलीज़ किया जय हनुमान का 3डी पोस्टर

प्रशांत वर्मा ने रिलीज़ किया जय हनुमान का 3डी पोस्टर

23 Apr 2024 | 8:11 PM

मुंबई, 23 अप्रैल (वार्ता) निर्माता प्रशांत वर्मा ने जय हनुमान का 3डी पोस्टर रिलीज कर दिया है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशांत वर्मा का भगवान हनुमान से कुछ गहरा संबंध है।

see more..
दूल्हा नम्बर 1 में नजर आयेंगे सुमित सिंह चन्द्रवंशी

दूल्हा नम्बर 1 में नजर आयेंगे सुमित सिंह चन्द्रवंशी

23 Apr 2024 | 8:07 PM

मुंबई, 23 अप्रैल (वार्ता) भोजपुरी अभिनेता सुमित सिंह चन्द्रवंशी फिल्म दूल्हा नम्बर 1 में काम करते नजर आयेंगे। सुमित सिंह चन्द्रवंशी ने फ़िल्म मेरे चाचू की शादी में भी एक काले लड़के की भूमिका निभाई थी और अब एकबार फिर से कुछ उसी तरह से काले लड़के के रूप में अबकी बार पुनः एक नए रोल में मुख्य अभिनेता के तौर पर वह दूल्हा नम्बर 1 में दर्शकों के बीच मे आ रहे हैं ।

see more..
कश्मीर एनिगमा ऑफ पैराडाइज में पुराने कश्मीर से नए कश्मीर के सफरनामें को एकसूत्र में पिरोने की कोशिश : आदि ईरानी

कश्मीर एनिगमा ऑफ पैराडाइज में पुराने कश्मीर से नए कश्मीर के सफरनामें को एकसूत्र में पिरोने की कोशिश : आदि ईरानी

23 Apr 2024 | 8:05 PM

मुंबई, 23 अप्रैल (वार्ता) अभिनेता आदि ईरानी का कहना है कि उनकी आने वाली फिल्म कश्मीर एनिगमा ऑफ पैराडाइज के जरिये पुराने कश्मीर से नए कश्मीर के सफरनामें को एकसूत्र में पिरोने की कोशिश की गयी है।

see more..
सत्यजीत रे ने दिलाई थी भारतीय सिनेमा को अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान

सत्यजीत रे ने दिलाई थी भारतीय सिनेमा को अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान

23 Apr 2024 | 7:55 PM

पुण्यतिथि 23 अप्रैल के अवसर पर मुंबई, 23 अप्रैल (वार्ता) भारतीय सिनेमा जगत में युगपुरूष सत्यजीत रे को एक ऐसे फिल्मकार के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी निर्मित फिल्मों के जरिए भारतीय सिनेमा जगत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाई ।

see more..
image