नयी दिल्ली, 18 नवम्बर (वार्ता) सर्च इंजन गूगल ने आज अपना डूडल बॉलीवुड के जाने माने निर्देशक.फिल्मकार और बेहतरीन अभिनेता वीं. शांताराम को समर्पित किया है ।
मराठी फिल्मों से अपना जीवन शुरु करने वाले वी. शांताराम का पूरा नाम ‘शांताराम राजाराम वांकुडरे ’था। उन्होंने 1946 में हिन्दी फिल्म जगत में अपना जीवन डाॅक्टर कोटनिस के जीवन पर आधारित फिल्म ‘ डाॅक्टर कोटनिस की अमर कहानी ’से शुरु किया और फिर निर्देशक .फिल्मकार और बेहतरीन अभिनेता के रुप में अपनी छाप छोड़ते हुए ‘झनक झनक पायल बाजे’दो आंखे बारह हाथ’ ‘नवरंग’.दुनिया ना माने ’ और ‘पिंजरा’ जैसी फिल्मों से शोहरत प्राप्त की ।
उनका जन्म 18 नवम्बर नवम्बर 1901 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक सामान्य परिवार में हुआ । वह छोटी ही उम्र में आजीविका के लिए निकल पड़े। वर्ष 1921 से 1987 तक फिल्म जगत में सक्रिय रहे शांताराम की झनक झनक पायल बाजे (1957) और दो आंखे बारह हाथ(1958) को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला । उन्हें 1985 में फिल्म जगत का सबसे सर्वश्रेष्ठ दादा साहब फाल्के सम्मान और 1992 में पदम विभूषण से सम्मानित किया गया ।
उन्होंने 1927 में ‘नेताजी पालकर’पहली फिल्म निर्देशित की । उन्होंने 1929 में विष्णुपति दामले . के आर दहाईबेर. एस फटेलाल और एस बी कुलकर्णी के साथ मिलकर प्रभात फिल्म कंपनी अाैर वर्ष 1942 में प्रभात कंपनी को छोडकर 1942 में मुंबई में ‘राजकमल कलामंदिर ’ की स्थापना की । विश्व के जानेमाने हास्य अभिनेता चार्ली चैपलिन ने शांताराम की मराठी फिल्म ‘मनहूस्’ की जमकर सराहना की ।
वी शांतारम ने अपने छह दशक लंबे सिने करियर में लगभग 50 फिल्मों को निर्देशित किया। उनके करियर की उल्लेखनीय फिल्मों में कुछ है। चंद्रसेना, माया मछिन्द्रा, अमृत मंथन, धर्मात्मा, दुनिया ना माने, पड़ोसी, अपना देश, दहेज, परछाइयां, तीन बत्ती चार रास्ता, सेहरा, बूंद जो बन गये मोती, पिंजरा आदि अपनी फिल्मों के जरिये दर्शको के बीच खास पहचान बनाने वाले महान फिल्मकार व्ही शांताराम 30 अक्टूबर 1990 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।
मिश्रा, जितेन्द्र, उप्रेती
वार्ता