नयी दिल्ली 11 जनवरी (वार्ता) सरकार ने बहु-राज्य सहकारी समितियां (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के अंतर्गत एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी बीज समिति की स्थापना करने और उसे प्रोत्साहन देने के ऐतिहासिक निर्णय को मंजूरी दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आज यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। यह समिति संबंधित मंत्रालयों, विशेष रूप से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) की सहायता और उनकी योजनाओं व एजेंसियों के जरिए देश भर की विभिन्न सहकारी समितियों के माध्यम से 'सम्पूर्ण सरकारी दृष्टिकोण' का पालन करते हुए गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, भंडारण, विपणन और वितरण; महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास; और स्थानीय प्राकृतिक बीजों के संरक्षण व प्रोत्साहन के लिए एक प्रणाली विकसित करने के लिए एक शीर्ष संगठन के रूप में कार्य करेगी।
प्रधानमंत्री का कहना है कि सहकारी समितियों की ताकत का लाभ उठाने के हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए और उन्हें ‘सहकार-से-समृद्धि’ के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए सफल और ऊर्जावान व्यावसायिक उद्यमों में बदला जाना चाहिए। सहकारी समितियों के पास देश के कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में ग्रामीण आर्थिक परिवर्तन की कुंजी मौजूद है।
प्राथमिक से राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समितियां जिनमें प्राथमिक समितियां, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के संघ और बहु राज्य सहकारी समितियां शामिल हैं, इसकी सदस्य बन सकती हैं। इसके उपनियमों के अनुसार, सोसायटी के बोर्ड में इन सभी सहकारी समितियों के निर्वाचित प्रतिनिधि होंगे।
प्रस्तावित समिति सभी स्तरों की सहकारी समितियों के नेटवर्क का उपयोग करके बीज प्रतिस्थापन दर, किस्म प्रतिस्थापन दर को बढ़ाने, गुणवत्तापूर्ण बीज की खेती और बीज किस्म के परीक्षणों में किसानों की भूमिका सुनिश्चित करने, एकल ब्रांड नाम के साथ प्रमाणित बीजों के उत्पादन और वितरण में मदद करेगी। गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता से कृषि उत्पादकता बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाने तथा किसानों की आय में भी वृद्धि करने में मदद मिलेगी। इसके सदस्यों को गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन से बेहतर कीमतों की प्राप्ति, उच्च उपज वाली किस्म (एचवाईवी) के बीजों के उपयोग से फसलों के उच्च उत्पादन और समिति द्वारा उत्पन्न अधिशेष से वितरित लाभांश, दोनों से लाभ होगा।
बीज सहकारी समिति गुणवत्तापूर्ण बीज की खेती और बीज किस्म के परीक्षणों, एकल ब्रांड नाम के साथ प्रमाणित बीजों के उत्पादन और वितरण में किसानों की भूमिका सुनिश्चित करके सभी प्रकार के सहकारी ढांचों और अन्य सभी साधनों को शामिल करेगी।
राष्ट्रीय स्तर की इस बीज सहकारी समिति के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन से देश में कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी। इससे कृषि और सहकारी क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसरों का सृजन होगा; आयातित बीजों पर निर्भरता कम होगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त होगा।
अरुण.संजय
वार्ता