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बिजनेस


कारोबार के अनुकूल माहौल बनाने में जुटी रही सरकार

कारोबार के अनुकूल माहौल बनाने में जुटी रही सरकार

नयी दिल्ली 29 दिसंबर (वार्ता) सरकार के आर्थिक सुधारों तथा कारोबार को सुगम बनाने के प्रयासों के इस वर्ष अच्छे नतीजे दिखायी दिये और भारत कारोबारी सुगमता की रैंकिंग में 63वें पायदान पर पहुंचने में कामयाब रहा तथा नवाचार के संदर्भ में 52वें स्थान पर आ गया। वहीं, विदेश व्यापार के माेर्चें पर सभी कदम विफल होते दिखे।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उथल-पुथल और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के संरक्षणवादी रुख तथा गैर-शुल्क बाधाओं के कारण 2019-20 के लिए 500 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जिसमें पहले आठ महीने में नवंबर तक कुल निर्यात 353.96 अरब डॉलर ही रहा, जिसमें वस्‍तु एवं सेवाएं शामिल हैं। पिछले वर्ष इसी अवधि में आयात 408.02 अरब डॉलर रहा था। अप्रैल से नवंबर 2019 तक वस्तु व्यापार 211.93 अरब डॉलर रहा है।

इस वर्ष के दौरान सरकार आर्थिक सुधार पर जाेर देती रही जिसका असर अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की रैंकिंंग में दिखायी दिया। देश ने विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता (इज ऑफ डूइंग बिजनेस) रिपोर्ट 2020 में शानदार छलांग लगाई और 14 स्थान चढ़कर 190 देशों में 63वें स्थान पर पहुंच गया। पिछले वर्ष भारत का स्थान 77वां था। देश ने 10 में से सात संकेतकों में सुधार किया है और अंतर्राष्ट्रीय श्रेष्ठ मानकों के निकट पहुंच गया है। विश्व बैंक अक्टूबर में जारी रिपोर्ट में भारत को कारोबारी सुगमता में सुधार करने वाले 10 शीर्ष देशों में माना गया है। यह लगातार तीसरा साल है जब देश की रैंकिंग बेहतर हुई है। तीन वर्षों में भारत ने 67 रैंकों का सुधार किया है। वर्ष 2011 से लेकर अभी तक किसी बड़े देश द्वारा लगाई गई यह सबसे ऊंची छलांग है।

स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कार्यक्रम स्टार्टअप इंडिया में कुल 21 हजार 778 स्टार्टअप शुरू किये गये। वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में भारत 52वें स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2015 में भारत की रैंकिंग 81 थी। भारत विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) तथा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) जारी करने वाला पहला विकासशील देश बन गया है। बीते वर्ष में नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए पेटेंट (संशोधन) नियम, 2019 को छोटे उद्योगों और स्टार्टअप की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सरल बनाया गया। इससे प्रक्रियागत व्यय में कमी आयी और ज्यादा से ज्यादा उद्यमी नवाचार के लिए आगे आयें।

निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) ने निर्यातकों के लिए नई निर्यात ऋण बीमा योजना (ईसीआईएस) लागू किया और इसे ‘निर्विक’ नाम दिया। इस योजना के तहत निर्यात ऋण के लिए बैंकों द्वारा बीमा दायरे को बढ़ाया गया। यह दायरे को मूलधन और ब्याज दोनों के लिए वर्तमान 60 प्रतिशत के औसत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत किया गया है। विशिष्ट कृषि उत्पादों के लिए ‘परिवहन और विपणन सहायता (टीएमए)’ योजना के लिए एक पोर्टल जारी किया गया है। ईसीजीसी के तहत सभी लंबित दावों के लिए एक डाटाबेस तैयार किया गया है। यह निर्यातकों को सूचना प्रदान करने का महत्वपूर्ण साधन होगा। ऑनलाइन ‘ओरिजिन प्रबंधन प्रणाली’ सभी निर्यातकों को सभी मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) वरीयता व्यापार समझौतों (पीटीए) तथा सभी एजेंसियों के लिए एकल खिड़की प्रदान करती है। भारत के 15 देशों के साथ एफटीए और पीटीए हैं।

मर्केन्डाइज निर्यात (एमईआईएस) योजना के स्थान पर शुल्क छूट या निर्यात उत्पाद पर कर (आरओडीटीईपी) योजना लाई गई। यह निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विश्व व्यापार संगठन के प्रावधानों के अनुरूप होगी। एमईआईएस पर दो प्रतिशत तक प्रोत्साहन पाने वाले वस्त्र तथा सभी अन्य क्षेत्र जनवरी 2020 से आरओडीटीईपी के अंतर्गत आ जाएंगे। निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) में 389 करोड़ रुपये की पूंजी लगाई गयी। इससे अफ्रीका, सीआईएस, लैटिन अमेरिका तथा एशियाई देशों जैसे उभरते और चुनौतिपूर्ण बाजारों के लिए निर्यातकों को अतिरिक्त सहयोग मिला। राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता (एनईआईए) को 300 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता दी गई। इससे चुनौतिपूर्ण बाजारों में निर्यात परियोजनाओं को सहयोग करने की क्षमता बढ़ेगी।


सरकार कुल माल परिवहन लागत को जीडीपी के 14 प्रतिशत से घटाकर नौ प्रतिशत पर लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय माल वहन नीति तैयार कर रही है। नीति का उद्देश्य व्यवसाय स्पर्धा को प्रोत्साहित करना और आर्थिक विकास में तेजी लाना है। बहु-मॉडल वस्तु परिवहन विधेयक, 2019 को मंजूरी के लिए अंतिम रूप दे दिया गया है। विधेयक का उद्देश्य निर्यात, आयात और घरेलू व्यापार के लिए वस्तुओं की आवाजाही में सहायता देना है।

बीते वर्ष में 206 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ कृषि निर्यात नीति को मंजूरी दी गई है। किसान कनेक्ट पोर्टल के अंतर्गत लगभग 740 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को पंजीकृत किया गया है। जीएसटी व्यवस्था में सिक्किम सहित जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड तथा पूर्वोत्तर राज्यों को पूंजी उपलब्ध करायी गयी। त्रिपुरा और मेघालय में भारत-बंगलादेश सीमा पर सीमा हाट के अतिरिक्त, मेघालय में तीन सीमा हाट बनाए जा रहे हैं।

विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2019 संसद से पारित किया गया। इससे ट्रस्ट सहित किसी भी प्रतिष्ठान को एसईजेड में इकाई स्थापित करने में मदद मिलेगी। इससे निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और नये निर्यात और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। साइकिल उद्योग तथा छोटे पुर्जे बनाने वाले निर्माताओं को वैश्विक मानक विकसित करने में सहायता के लिए साइकिल विकास परिषद का गठन किया गया है। देश का साइकिल उद्योग विश्व का दूसरा सबसे बड़ा साइकिल उद्योग है।

सत्या टंडन

वार्ता

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