राज्य » अन्य राज्यPosted at: Aug 8 2019 6:13PM आपातकालीन 108 सेवा में कमी मामले में सरकार जवाब देने में विफल
नैनीताल 08 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड में आपातकालीन 108 स्वास्थ्य सेवा में लगातार आ रही कमी के मामले में राज्य सरकार गुरुवार को उच्च न्यायालय में जवाब पेश करने में विफल रही। न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लिया और सरकार को एक सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने आज देहरादून के सामाजिक कार्यकर्ता अनूप पंत की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य में इस आपातकालीन सेवा में काफी कमी आ गयी है। टिहरी के प्रताप नगर में दो दिन पहले हुए दर्दनाक हादसे का जिक्र करते हुए याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि दुर्घटनास्थल पर आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा 108 ढाई घंटे विलंब से पहुंची। इस दुर्घटना में नौ स्कूली बच्चों की मौत हो गयी थी।
इससे पहले अदालत ने 19 जुलाई को सरकार को दो सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये थे। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि नीति आयोग की ओर से भी जून 2019 में प्रदेश की आपातकालीन सेवा पर सवाल उठाये गये हैं। जारी रिपोर्ट में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा को सबसे खराब प्रदेशों की श्रेणी में आंका गया है। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि यह सेवा उच्चतम न्यायालय के निर्धारित मानकों के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि सरकार ने पिछले साल 2018 में कैम्प नामक कंपनी को इस सेवा की जिम्मेदारी दी है। इसमें प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी है। इस सेवा के तहत एक माह में अभी तक 11 दुर्घटनायें घट चुकी हैं। ऐसे में प्रदेश की जनता के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।