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पंचायत चुनाव में दो बच्चों के मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

पंचायत चुनाव में दो बच्चों के मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

नैनीताल, 23 सितम्बर (वार्ता) उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में संशोधन के मामले में राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय से कोई राहत नहीं मिल पायी है। दो से अधिक बच्चे वाले उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराये जाने के मामले में न्यायालय ने सरकार को अंतरिम राहत देने से मना कर दिया है।

अदालत ने हालांकि मामले की सुनवाई करने के लिये स्वीकार कर लिया है। अदालत ने इस मामले में सभी प्रतिवादियों को नोटिस भी जारी किये हैं।

प्रदेश सरकार की ओर से दो दिन पहले इस मामले में विशेष अपील दायर की गयी थी। सोमवार को न्यायाधीश हेनरी रमन्ना, न्यायाधीश संदीप खन्ना एवं न्यायाधीश कृष्ण मुरारी की खंडपीठ में सरकार की विशेष अपील पर सुनवाई हुई। सरकार की ओर से कहा गया कि पंचायती राज अधिनियम में संशोधन जनसंख्या नियंत्रण को सफल बनाने के उद्देश्य से किया गया है। सरकार की ओर से उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गयी।

प्रतिवादियों के अधिवक्ता आयुष नेगी ने बताया कि अदालत ने मामले को सुनने के बाद सरकार को कोई राहत प्रदान नहीं की। अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने के संबंध में किसी प्रकार का कोई अंतरिम आदेश पारित करने से मना कर दिया। श्री नेगी ने आगे बताया कि अदालत ने कहा कि प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिये प्रक्रिया शुरू हो गयी है। अदालत इसमें कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं करना चाहती है। उन्होंने आगे कहा कि हालांकि अदालत ने सरकार की विशेष अपील को सुनवाई के लिये स्वीकार कर लिया है।

दरअसल सरकार ने पंचायती राज अधिनियम 2016 में संशोधन कर दो बच्चों से अधिक उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। सरकार की ओर से 25 जुलाई को इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी गयी थी। साथ चुनाव आयोग ने प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिये कार्यक्रम भी जारी कर दिया था।

सरकार के इस कदम को विभिन्न याचिकाकर्ताओं की ओर से उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। इस मामले को लेकर छह से अधिक विभिन्न याचिकायें दायर हुईं। अधिकांश याचिकाकर्ताओं की ओर से पंचायत राज अधिनियम के धारा 8(1)(आर), धारा 08(8) और धारा 10(सी) को चुनौती दी गयी। अधिकांश याचिकाकर्ताओं को पंचायती राज अधिनियम के धरा 8(1)(आर) से आपत्ति थी। जिसके तहत सरकार ने दो से अधिक बच्चे वाले उम्मीदवार को ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया था।

मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अगुवाई वाली युगलपीठ ने 19 सितम्बर को एक आदेश जारी कर पंचायत राज अधिनियम में किये गये दो बच्चों से अधिक वाले संशोधन को खारिज कर दिया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि संशोधन की शर्त अधिसूचना जारी होने के बाद लागू मानी जायेगी।

उच्च न्यायालय के इस फैसले से दो बच्चों से अधिक वालों को चुनाव लड़ने में राहत मिल गयी थी। इसके बाद सरकार ने इस मामले को विशेष याचिका के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 7000 से अधिक ग्राम पंचायतों के लिये त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव शुरू हो गये हैं। चुनाव आयोग की ओर से विगत 13 सितम्बर को चुनावों के लिये अधिसूचना जारी कर दी गयी है। साथ ही प्रदेश में आचार संहिता लागू है। हरिद्वार जिले को छोड़कर शेष 12 जिलों में पंचायत चुनाव हो रहे हैं। मंगलवार (24 सितम्बर) को नामांकन भरने की अंतिम तिथि है तथा छह, 11 और 16 अक्टूबर को तीन चरणों में मतदान होगा और 21 अक्टूबर को मतगणना होगी।

रवीन्द्र, उप्रेती

वार्ता

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