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शराब से मरने वालों को आर्थिक मदद दे सरकार :हुड्डा

शराब से मरने वालों को आर्थिक मदद दे सरकार :हुड्डा

पानीपत/सोनीपत 08 नवंबर(वार्ता) हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रविवार को पानीपत के धनसोली गांव और सोनीपत के गुमड़ में जहरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों के परिजनों से मुलाकात कर अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने सरकार से पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।

पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने धनसोली और गुमड़ गांव में ग्रामीणों से बातचीत करते हुए कहा कि यदि जहरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों ने शराब मंजूरशुदा ठेके के स्थान पर किसी दूसरे व्यक्ति से खरीदी थी तो उस पर रोक लगाना भी सरकार का काम है, लेकिन आज हरियाणा में सरकार और कानून नाम की कोई व्यवस्था नहीं रह गई है। यही कारण है कि पूरे प्रदेश में शराब माफिया अपने पैर पसार चुका है और लगातार बढ़ रहे अपराध के कारण हरियाणा बेरोजगारी के बाद अब अपराध के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि आज हरियाणा में सरकार के स्थान पर माफिया का राज चल रहा है। यहीं कारण है कि रोजाना कोई ना कोई घोटाला सामने आ रहा है। लॉकडाउन के दौरान जब पूरे देश के लोग अपने घरों में कैद थे, उस समय में भी हरियाणा में बड़ा शराब घोटाला हुआ। हुड्डा ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान हुए इस शराब घोटाले की आज तक जांच भी पूरी नहीं हो पाई है। पहले सरकार ने एसआईटी के स्थान पर शराब घोटाले की जांच एसईटी से करवाई। एसईटी की रिपोर्ट आने के बाद फिर इसकी जांच विजिलेंस से करवाई जा रही है। हुड्डा ने कहा कि कई महीने गुजर जाने के बाद भी विजिलेंस इस पूरे मामले में किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है और ना ही किसी बड़े व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है।

उन्होंने कहा कि यदि जहरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों ने शराब मंजूरशुदा ठेके के स्थान पर किसी दूसरे व्यक्ति से खरीदी थी तो उस पर रोक लगाना भी सरकार का काम है, लेकिन आज हरियाणा में सरकार और कानून नाम की कोई व्यवस्था नहीं रह गई है। यही कारण है कि पूरे प्रदेश में शराब माफिया अपने पैर पसार चुका है और लगातार बढ़ रहे अपराध के कारण हरियाणा बेरोजगारी के बाद अब अपराध के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है ।

हरियाणा सरकार की ओर से पंचायती राज में राइट टू रिकॉल लागू किए जाने के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री कहा कि ये फैसला पहले एमएलए और एमपी पर लागू होना चाहिए। उसके बाद इसे निचले स्तर पर लागू करना चाहिए। हुड्डा ने कहा कि पहले भी पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू की थी, जबकि एक सांसद और विधायक का चुनाव लड़ने के लिए कोई योग्यता नहीं है। सरकार के इस कानून के अनुसार एक गली बनाने वाला सरपंच या फिर पंच पढ़ा लिखा होना चाहिए, जबकि कानून बनाने वाले के लिए किसी भी प्रकार की शैक्षणिक योग्यता नहीं रखी गई है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मेडिकल की सालाना फीस 53 हजार से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी है, जिसे गरीब और मध्यवर्गीय परिवार के लिए दे पाना बहुत मुश्किल काम है। सरकार के इस फैसले के कारण गरीब का योग्य बच्चा भी डॉक्टर नहीं बन सकेगा, क्योंकि उसके पास फीस के रूप में देने के लिए 10 लाख रुपये नहीं होंगे। इससे स्पष्ट है कि अब अमीरों के बच्चे ही डॉक्टर बन सकेंगे।

सं.संजय

वार्ता

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