जयपुर 20 मार्च (वार्ता) राजस्थान में संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा है कि राज्य सरकार को अभिभावकों को गुमराह करने की बजाय पांचवी कक्षा तक के बच्चे के प्रमोशन के साथ उसकी फीस को लेकर भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
संघ के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने आज कहा कि पिछले एक वर्ष से प्रदेश का अभिभावक शिक्षा के बजाय फीस को लेकर प्रताड़ित हो रहा है राज्य सरकार अभिभावकों की सुनने के बजाय बेहतर शिक्षा का झूठा राग अलाप कर प्रदेश के करोड़ों अभिभावकों को शिक्षा के नाम पर ठगने का काम कर रही है। एक वर्ष से शिक्षा का नाम ले लेकर कोरोना के चलते स्कूल बंद की अवधि लगातार बढ़ाई गई किन्तु फीस को लेकर कोई चर्चा नही की गई, निजी स्कूलों को संरक्षण देने के चलते हर बार अवधि बढ़ा-बढ़ाकर अभिभावकों से फीस वसूलने का लाइसेंस दिया गया जबकि पढ़ाई के नाम पर अभिभावकों और बच्चों को ठेंगा दिखाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पीड़ित अभिभावकों को राहत देनी चाहिए थी किन्तु सरकार लगातार प्रदेश के अभिभावकों गुमराह करती आ रही है। उन्होंने कहा कि कक्षा पांचवी तक के बच्चे एक दिन भी स्कूल नही गए, अस्सी प्रतिशत से अधिक बच्चों ने ऑनलाइन क्लास नहीं ली तो फीस किस बात की।
श्री बिट्टू ने दावा किया कि गत वर्ष 15 मार्च से कक्षा पांचवी तक कि क्लास आज तक नही लगी, ना ऑनलाइन पढ़ाई हुई, प्रदेश के लगभग अस्सी प्रतिशत बच्चों ने न ऑनलाइन पढ़ाई की न ऑफलाइन पढ़ाई की उसके बावजूद अभिभावकों पर फीस का दबाव क्यों बनाया जा रहा है।
संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश का अभिभावक लगातार राहत की मांग कर रहा है, फीस को लेकर नियामक आयोग बनाने की मांग कर रहा है किंतु राज्य सरकार निजी स्कूलों के दबाव में आकर अभिभावकों के साथ खिलवाड़ कर रही है। श्री अग्रवाल ने कहा कि अगर जल्द अभिभावकों को फीस से राहत नही मिलती है, नियामक आयोग नही बनता है तो प्रदेश का अभिभावक विधानसभा उपचुनाव की तीनों सीटों पर राज्य सरकार के खिलाफ वोट करने की अपील करेगा।
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वार्ता