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राज्यपाल ने किया एक सौ फिट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज का लोकार्पण

राज्यपाल ने किया एक सौ फिट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज का लोकार्पण

देहरादून/हरिद्वार, 08 अक्टूबर (वार्ता) ऊत्तराखण्ड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांति कुंज, हरिद्वार में स्थापित एक सौ फिट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज का लोकार्पण किया। उन्होंने गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग करते हुए परिसर स्थित महाकाल मंदिर में पूजा-अर्चना की तथा राज्य की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली के लिए प्रार्थना भी की।

राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित शौर्य दीवार पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये राज्यपाल (सेनि) लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि मेरे लिए यह गौरव का क्षण है। राष्ट्रीय ध्वज हर भारतीय की आन-बान, शान एवं गौरव का प्रतीक है। मैं एक फौजी भी हूँ। यदि एक फौजी को तिरंगा फहराने और तिरंगे से जुड़े गौरवपूर्ण कार्य में शामिल होने का अवसर मिले तो इससे अधिक सौभाग्य का विषय कोई नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि यह ध्वज एक आइकन है, एक प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि वे बचपन में जब भी राष्ट्रीय ध्वज को देखते थे, तो उन्हें एक आत्मीय हर्ष और उल्लास होता था। अपने आप दाहिना हाथ उठ कर तिरंगे को सलाम करता था। उनका सेना में जाकर देशसेवा करने का स्वपन बाल्यकाल से ही था। वे कैप्टन बनना चाहते थे।

राज्यपाल ने कहा,“मैंने एक सैनिक की भूमिका में जीवन बिताया है। हर रोज राष्ट्रीय ध्वज को अंतर आत्मा ने श्रद्धा की दृष्टि से देखा है। जब भी कोई सैन्य चुनौती सामने आयी, यही एहसास मन में रहा है, कि अगर प्राणों की आहूति हुई तो एक सर्वोच्च सौभाग्य होगा। किसी भी सैनिक के लिए उसका पार्थिव शरीर इसी तिरंगे में लपेटा जाए, यही अंतिम अभिलाषा होती है।” उन्होंने कहा कि राज्य में प्रत्येक व्यक्ति सैनिक है। देश का प्रथम परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले एक उत्तराखण्डी थे, यह गर्व का विषय है।

श्री सिंह ने कहा कि भारत की संप्रभुता और अखण्डता बनाये रखना तथा हर मैदान फतह करना और वहाँ तिरंगे को लहराता देखना, हर एक सैनिक का अंतिम लक्ष्य होता है। यह जज्बा हमारी संस्कृति से आता है। आज जो ध्वज लहरा रहा है, यह हर भारतीय, सैनिक, संत और विद्वानों के बलबूते पर ही सम्भव हो पाया है।

राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि भारतवर्ष की जड़ें और आधार, भारतीय संस्कृति और हमारी अनन्य सभ्यता रही है। यह तिरंगा, ना केवल तीन रंगों और अशोक चक्र का मेल है बल्कि अपने आप में भारत की आत्मा, शान, साहस, ज्ञान और पराक्रम को भी अपने में समाहित किये हुए है। हमारे लिए एक लक्ष्य और मार्ग दर्शन का स्रोत भी है।

राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की समृद्ध संस्कृति है, जिसमें नैतिक मूल्यों के साथ-साथ एक आदर्श जीवन पद्वति की भी शिक्षा दी जाती है। मानव जीवन के लक्ष्यों का निर्धारण इसी संस्कृति के द्वारा सम्भव है। संस्कृति हमें शिक्षा के साथ-साथ विद्या, व्यापार, पर्यावरण और जीवन के अन्य महत्वपूर्ण आयामों से जोड़ती है। एक सुसंस्कृत और आदर्श जीवन के लिए जिन मूलभूत तत्वों की आवश्यकता है उन सभी का समायोजन भारतीय संस्कृति में है। यह केवल भौतिक सुखों का ही अनुभव नहीं कराती इसी के साथ आध्यात्मिक उन्नयन हेतु उच्च अनुभूतियों का ज्ञान भी कराती है। कोविड के दौरान पूरे विश्व में नमस्कार को महत्व मिला। आज पूरा विश्व नमस्कार करता है। यह ज्ञान हमारी संस्कृति ने ही दिया।

राज्यपाल ने गायत्री मंत्र के महत्व पर भी प्रकाश डालते हुये कहा कि एक सभ्य एवं सुसंस्कृत समाज का जो स्वप्न पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने देखा था, सभी उसे पूरा करने के लिए कृत संकल्पित हैं। विद्यार्थियों को निश्चय कर अपनी जीत करूं के वाक्य के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयास करने चाहिये।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि आज का दिन विश्वविद्यालय के लिये ऐतिहासिक है। जो एक सैनिक द्वारा आज तिरंगे को फहराया गया है।

इस अवसर पर राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह ने विश्वविद्यालय के न्यूजलेटर ‘रेनेसां’ का विमोचन किया।

इस अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति ल शरद पारधी, प्रति-कुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या एवं कुलसचिव, समस्त आचार्यागण, विद्यार्थी एवं विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

सं.संजय

वार्ता

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