नयी दिल्ली, 25 दिसम्बर (वार्ता) गुजरते वर्ष के दौरान जहां चहुंओर समस्याओं से घिरे किसानों की आय दोगुना करने का नारा दिया गया वहीं दूसरी ओर गेहूं पर आयात शुल्क समाप्त किये जाने का भी बड़ा फैसला किया गया जिसका किसान संगठनों ने जोरदार ढंग से तथा कृषि वैज्ञानिकों ने दबी जुबान से विरोध शुरू कर दिया है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का नारा दिया और कृषि मंत्रालय ने इस दिशा में पहल शुरू की। इसके तहत कृषि लागत को कम करने तथा कृषि उत्पादों को उचित मूल्य दिलाने की रणनीति तय की गई । किसानों की आय दोगुनी करने में खेती के अलावा दूध उत्पादन, मत्स्यपालन, कुक्कुट पालन, मधुमक्खी पालन तथा बागवानी क्षेत्र को भी शामिल किया गया । किसानों को प्रकृतिक अापदाओं से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई तथा पुरानी कृषि बीमा योजनाओं की खामियों को कम से कम करते हुये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरूआत की गयी । पिछले दो साल से सूखे जैसी स्थिति का सामना करने के बाद इस बार अच्छे मानसून के कारण देश में खाद्यान्नों के रिकार्ड उत्पादन की संभावना व्यक्त की जा रही है। दूध का उत्पादन भी प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 350 ग्राम तक पहुंच गया है। कृषि लागत घटाने के लिए मिट्टी की जांच के अभियान को तेज किया गया ताकि 14 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाये। फसल उत्पादन बढाने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना पर जिला स्तर पर योजनाएं तैयार की गयी और फसल रिण को बढाकर नौ लाख करोड़ रुपये कर दिया गया। परम्परागत कृषि को बचाये रखने के लिए जैविक खेती को प्रोत्साहित किया गया और इसके लिए किसानों को अर्थिक मदद दी गयी ।
एक राष्ट्र एक मंडी की सोच को आगे बढाते हुए मंडी सुधार प्रक्रिया को तेज किया गया और ई मंडी परियोजना की शुरूआत की गयी। शुरूआत में इसमें आठ राज्यों की 21 मंडियों को शामिल किया गया लेकिन बाद में इसके लिये 350 से अधिक प्रस्ताव आ गये। कृषि मंत्रालय मार्च 2018 तक देश की 585 मंडियों को ई प्लेटफार्म पर लाना चाहता है। सरकार ने विश्व बाजार में सस्ते गेहूं के होने का हवाला देकर लम्बे अरसे के बाद गेहूं पर से 10 प्रतिशत आयात शुल्क हटा लिया है जिसके कारण इसके आयात का रास्ता खुल गया है और निजी व्यापारिक घरानों ने इस सिलसिले में लगभग 35 लाख टन गेहूं आयात का करार भी कर लिया है । भारतीय किसान यूनियन तथा पंजाब , हरियाणा , मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश तथा कई अन्य राज्यों के किसान संगठनों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध करते हुये इसे वापस लेने तथा गेहूं आयात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने की मांग की है । प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के प्रणेता एम एस स्वामीनाथन ने भी कहा है कि खाद्य सुरक्षा के लिए गेहूं का सतत उत्पादन जरूरी है और एक निश्चित उत्पादन के लिये किसानों के हितों की सुरक्षा भी जरूरी है । उन्होंने कहा है कि यदि सस्ते गेहूं से बाजार को पाट दिया जायेगा तो इसका उत्पादन पुराने जमाने की तरह हो जायेगा। उन्होंने कहा है कि एक दौर में अमेरिका से गेहूं के आयात के कारण देश में इसका उत्पादन प्रभावित हुआ था । अरुण उपाध्याय, यामिनी वार्ता