नयी दिल्ली 27 जून (वार्ता) केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग पीयूष गोयल ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के मसौदे और इसके कार्यान्वयन के लिए प्रस्तावित कार्य योजना की समीक्षा की।
समीक्षा बैठक में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी संबंधित मंत्रालयों एवं उनके विभागों को मौजूदा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं से लाभ उठाना चाहिए जिससे कि वे लॉजिस्टिक्स श्रृंखला में एक-दूसरे को आवश्यक सहयोग दे सकें। उन्होंने कहा कि इससे न केवल क्षमता उपयोग को अधिकतम स्तर पर पहुंचाने में, बल्कि लागत घटाने में भी मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के मसौदे को रेल, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, शिपिंग और नागरिक उड्ययन मंत्रालयों के साथ सलाह-मशविरा करके तैयार किया गया है। साझेदारी करने वाली सरकारी एजेंसियों से प्राप्त 46 जानकारियों एवं सूचनाओं का विस्तार से विश्लेषण किया गया, ताकि नीति के अंतर्गत इन पर विचार किया जा सके।
श्री गोयल ने कहा कि सभी चारों मंत्रालयों को आपस में समुचित तालमेल के साथ काम करना चाहिए, जिससे कि सकल घरेलू उत्पाद की 14 प्रतिशत लॉजिस्टिक्स लागत को घटाकर नौ प्रतिशत कर सके। बैठक के दौरान रेलवे, नागरिक उड्ययन, जहाजरानी एवं अंतर्देशीय जल मार्गों, सड़क परिवहन, रोपवे वेयरहाउसिंग और शीत श्रृंखला (कोल्ड चेन) से संबंधित लॉजिस्टिक्स के सभी पहलुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
उन्होेंने संबंधित मंत्रालयों से कहा कि खाद्यान्न, फलों और सब्जियों की उपज को खेत से बाजार तक पहुंचाने के लिए ऐसे ठोस प्रयास किए जाने चाहिए जिससे कि इस कार्य में कम से कम समय की बर्बादी हो। उन्होंने यह भी कहा कि विशेषकर फलों, सब्जियों और जल्द खराब होने वाली उपज के लिए प्रशीतन श्रृंखला से जुड़ी केंद्रीय योजना को लॉजिस्टिक्स नीति के मसौदे की कार्य योजना का हिस्सा बनाया जा सकता है। इससे दक्षता बढ़ेगी और किसानों को कृषि उपज संबंधी नुकसान कम होगा।
समीक्षा बैठक के दौरान रेल भाड़े को तर्कसंगत बनाने और समर्पित फ्रेट कॉरिडोर के लिए माल ढुलाई नीति से संबंधित मुद्दों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब भी किसी नई सड़क, रेल, हवाई अड्डा और बंदरगाह परियोजना पर विचार किया जाए, तो लॉजिस्टिक्स विभाग को सलाह-मशविरा प्रक्रिया का एक हिस्सा अवश्य बनाया जाना चाहिए।
सत्या अरुण
वार्ता