जयपुर, 24 अक्तूबर (वार्ता) केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंन्द्रसिंह शेखावत ने कहा है कि आयुष और जल शक्ति मंत्रालय गंगा नदी के किनारे पांच किलोमीटर के दायरे में हरित पट्टी विकसित करेंगे, जिसमें जड़ी-बूटी और औषधीय पौधों की खेती की जाएगी।
श्री शेखावत ने आज यहां राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान द्वारा धन्वन्तरी त्रयोदशी के उपलक्ष में “दीर्घायु के लिए आयुर्वेद” विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुये कहा कि दोनों मंत्रालयों के बीच इस आशय का एक समझौता हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के अभियान में मदद मिलेगी बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी।
उन्होंने सुझाव दिया कि भारत की वर्षों पुरानी आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को विश्व में लोकप्रिय बनाने के लिए जरूरी है कि जड़ी-बूटी और औषधीय गुणों से भरपूर पेड़ पौधो और फूल-पत्तियों का रासायनिक तत्व निकाल कर उन्हें गोली अथवा कैप्सूल के रूप में बाजार में लाया जाए। इससे किसान इन पेड़-पौधो की खेती करने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे सरकार के उनकी आय को दुगना करने के लक्ष्य को हासिल करने में सफलता मिलेगी।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने कहा कि भौतिकवाद के कारण आज कई तरह के शारीरिक और मानसिक रोग बढ़ रहे है। इनकी रोकथाम आयुर्वेद से ही संभव है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के छोटे से छोटे सिद्धान्त को प्रमाण के साथ लोगों तक पहुंचाने से ही आयुर्वेद की विश्वसनीयता और लोकप्रियता में बढ़ोतरी हो सकती है।
इस अवसर पर आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बताया कि आयुष मंत्रालय की ओर से हाल ही 760 करोड़ रु की योजना बनाई गयी है जिसके तहत देश भर में आयुष अस्पताल और क्लीनिक बनाए जाएंगे। इस योजना के तहत पैरा मेडिकल कर्मचारियों के प्रशिक्षण, कौशल विकास और आयुष के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने का काम भी किया जाएगा। आयुष मंत्रालय के सलाहकार डॉ मनोज नेसरी ने बताया कि आयुष्मान भारत के तहत देशभर में 12,500 स्वास्थ्य कल्याण केन्द्रों पर आयुष की सुविधा प्राप्त होगी।
रामसिंह
वार्ता