लखनऊ, 01 अक्टूबर (वार्ता) उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ पी सिंह ने पिता-माता या उसकी देखरेख करने वाले व्यक्ति द्वारा 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे एवं शिशु के परित्याग की रोकथाम के लिए केे अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिये हैं।
पुलिस प्रवक्ता ने मंगलवार को यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि श्री सिंह ने सभी जोनल अपर पुलिस महानिदेशक, परिक्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक एवं पुलिस उपमहानिरीक्षक तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षकों को प्रदेश के विभिन्न जिलों में पिता-माता या उसकी देखरेख करने वाले व्यक्ति द्वारा 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे एवं शिशु के परित्याग की रोकथाम के लिए आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित कराये जाने के निर्देश दिये ।
उन्होंने बताया कि आज भेज निर्देशों में कहा गया है कि थाने पर ऐसे बच्चों की शिकायत को पूरी संवदेनशीलता के साथ सुना जाये और उनके सम्बन्ध में तत्परता से कार्रवाई शुरु की जाये। ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की देरी नहीं की जाये। थाने के सभी कर्मियों को इस ओर संवदेनशील बनायें कि वह इस प्रकार के प्रकरणों में शिष्ट एवं भद्र व्यवहार करें।
इस प्रकार की सूचना प्राप्त होने पर बच्चें के माता-पिता/संरक्षक के विरूद्व भादवि की धारा 317 एवं आवश्यकतानुसार अन्य अधिनियमों की सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया जाये। पीड़ित बच्चें के बयान लेते समय सभी प्रसांगिक पहलुओं को सम्मिलित किया जाये तथा बच्चे के द्वारा दिये गये बयान को अक्षरशः दर्ज किया जाये।
पीड़ित बच्चें का बयान यथा सम्भव महिला उपनिरीक्षक द्वारा लिया जाना चाहिए ताकि बच्चा स्वयं को सहज महसूस करें और बयान के समय उपनिरीक्षक द्वारा सादा परिधान धारण किया जाये। अधिनियमों की धारा की बढ़ोत्तरी, आवश्यकतानुसार अपराधिता के प्रकट होने पर की जा सकेगी।
प्रवक्ता ने बताया कि निर्देश में कहा गया है कि ऐसे बच्चों के संरक्षण/पुर्नवास के लिए सम्बन्धित मजिस्ट्रेट के माध्यम से अग्रिम कार्रवाई विधि के अनुसार की जाये। पंजीकृत अभियोग के सम्बन्ध में क्षेत्राधिकारी स्वयं अपने निकट पर्यवेक्षण में विवेचना का सम्पादन करायेगें तथा पुलिस अधीक्षक के समक्ष प्रकरण की प्रगति प्रस्तुत करेंगे। जाॅच अधिकारी द्वारा पीड़ित बच्चे के साथ संवाद एवं प्रकरण में सहयोग के लिए सामथ्र्य व्यक्ति, मनोचिकित्सक, विशेष शिक्षक, कानून विशेषज्ञ, बाल अधिकारी विशेषज्ञ, अनुवादक, परामर्शदाता, मानसिक स्वस्थ विशेषज्ञ, चाइल्ड लाइन अथवा अनुभवी स्वैच्छिक संगठन से सहायता प्राप्त की जा सकती है।
त्यागी
वार्ता