राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Nov 18 2018 12:01PM वर्ष 1943 में सलिल चौधरी के संगीतबद्व गीतों बिचारपति तोमार बिचार और धेउ उतचे तारा टूटचे ने आजादी के दीवानों में नया जोश भरने का काम किया। अंग्रेज सरकार ने बाद में इस गीत पर प्रतिबंध लगा दिया। पचास के दशक में सलिल चौधरी ने पूरब और पश्चिम के संगीत का मिश्रण करके अपना अलग ही अंदाज बनाया जो परंपरागत संगीत से काफी भिन्न था। इस समय तक सलिल चौधरी कोलकाता में बतौर संगीतकार और गीतकार के रूप में अपनी खास पहचान बना चुके थे। वर्ष 1950 में अपने सपनों को नया रूप देने के लिये वह मुंबई आ गये। वर्ष 1950 में विमल राय अपनी फिल्म दो बीघा जमीन के लिये संगीतकार की तलाश कर रहे थे। वह सलिल के संगीत बनाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुये और उन्होंने सलिल चौधरी से अपनी फिल्म दो बीघा जमीन में संगीत देने की पेशकश की। सलिल ने संगीतकार के रूप में अपना पहला संगीत वर्ष 1952 में प्रदर्शित विमल राय की फिल्म दो बीघा जमीन के गीत ..आ री आ निंदिया.. के लिये दिया। फिल्म की कामयाबी के बाद सलिल चौधरी बतौर संगीतकार फिल्मों में अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गये । फिल्म दो बीघा जमीन की सफलता के बाद इसका बंगला संस्करण रिक्शावाला बनाया गया। वर्ष 1955 में प्रदर्शित इस फिल्म की कहानी और संगीत निर्देशन सलिल चौधरी ने ही किया था। फिल्म दो बीघा जमीन की सफलता के बाद सलिल विमल राय के चहेते संगीतकार बन गये और इसके बाद विमल राय की फिल्मों के लिये सलिल ने बेमिसाल संगीत देकर उनकी फिल्मों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।प्रेम, संतोष जारी वार्ता