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राज्य » गुजरात / महाराष्ट्र


वर्ष 1960 में प्रदर्शित फिल्म काबुलीवाला में पार्श्वगायक मन्ना डे की आवाज में सजा यह गीत ..ऐ मेरे प्यारे वतन ऐ मेरे बिछड़े चमन तुझपे दिल कुर्बान.. आज भी श्रोताओं की आंखो को नम कर देता है।
सत्तर के दशक में सलिल को मुंबई की चकाचौंध कुछ अजीब सी लगने लगी और वह कोलकाता वापस आ गये। इस बीच उन्होंने कई बंगला गानें लिखे। इनमें ..सुरेर झरना और तेलेर शीशी.. श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुये।
सलिल के सिने करियर में उनकी जोड़ी गीतकार शैलेन्द्र और गुलजार के साथ खूब जमी। सलिल के पसंदीदा गायिकों में लता मंगेश्कर का नाम सबसे पहले आता है। वर्ष 1958 में विमल राय की फिल्म मधुमति के लिये सलिल चौधरी को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1998 में संगीत के क्षेत्र में उनके बहुमूल्य योगदान को देखते हुये उन्हें संगीत नाटय अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
सलिल ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 75 हिन्दी फिल्मों में संगीत दिया। हिन्दी फिल्मों के अलावे उन्होंने मलयालम, तमिल, तेलगू,कन्नड़, गुजराती, आसामी, उड़िया और मराठी फिल्मों के लिये भी संगीत दिया। लगभग चार दशक तक अपने संगीत के जादू से श्रोताओं को भावविभोर करने वाले महान संगीतकार सलिल चौधरी पांच सिंतबर 1995 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।
प्रेम, संतोष
वार्ता
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