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शत्रुध्न सिंहा का जन्म 09 दिसंबर 1945 में बिहार के पटना में हुआ। बिहार के प्रतिष्ठित पटना सांइस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होनें बतौर अभिनेता बनने के लिये पुणा फिल्म इंस्टीच्यूट में दाखिला ले लिया। सत्तर के दशक में फिल्म इंस्टीच्यूट में प्रशिक्षण के बाद शत्रुध्न सिंहा ने फिल्म इंडस्ट्री की ओर अपना रूख कर लिया।
शुरूआती दौर में फिल्म इंडस्ट्री में काम पाने के लिये शत्रुध्न सिंहा को काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा। शत्रुध्न सिंहा ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1969 में प्रदर्शित फिल्म ‘साजन’ से की। मनोज कुमार की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में उन्हें एक छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर मिला। इस दौरान उन्हें फिल्म अभिनेत्री मुमताज की सिफारिश पर फिल्म ‘खिलौना’ में काम करने का अवसर मिला।
वर्ष 1970 में प्रदर्शित फिल्म खिलौना की सफलता के बाद शत्रुध्न सिंहा को फिल्मों में काम मिलने लगा। वर्ष 1971 में प्रदर्शित फिल्म ‘मेरे अपने’उनके करियर के लिये महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी। युवा राजनीति पर बनी इस फिल्म में विनोद खन्ना ने भी अहम भूमिका निभाई थी। फिल्म में शत्रुध्न सिंहा का बोला गया यह संवाद ..श्याम आये तो उससे कह देना छैनु आया था, बहुत गरमी है खून में तो बेशक आ जाये मैदान में ..दर्शको के बीच काफी लोकप्रिय हुये।
फिल्म मेरे अपने की सफलता के बाद पारस, गैंबलर, भाई हो तो ऐसा, रामपुर का लक्षमण, ब्लैकमेल जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी के जरिये शत्रुध्न सिंहा दर्शको के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुये ऐसी स्थिति में पहुंच गये जहां वह फिल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे।
प्रेम,जतिन
जारी वार्ता
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