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हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब की नई पुस्तक ‘ब्यूटीफुल हेयर ब्यूटीफुल यू ’

हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब की नई पुस्तक ‘ब्यूटीफुल हेयर ब्यूटीफुल यू ’

नयी दिल्ली 21 मई (वार्ता) हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब की नई पुस्तक ‘ब्यूटीफुल हेयर ब्यूटीफुल यू ’ जल्द ही बाजार में आ रही है।

मॉरिस स्कूल ऑफ हेयर डिज़ाइन लंदन में पढ़े और टाइम्स एवं फ़ोर्ब्स पत्रिका में स्थान पा चुके भारतीय हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब ने अपनी किताब के बारे में बताया कि इस किताब में भारतीय परिपेक्ष में बालों के बारे में लोगों के मन में भ्रम और शंकाओं को दूर करने की कोशिश की गई है। बालों की सेहत आदमी की व्यक्तिगत सोच/ मानसिक स्थिति पर ही जयादातर निर्भर करती है। उनका कहना है कि बालों की ज्यादातर समस्याएँ स्कैल्प में गन्दगी की वजह से होती हैं और रोज नियमित रूप से स्कैल्प की सफाई करने से बालों की ज्यादातर समस्याएँ होती ही नहीं हैं।

उनका कहना है कि बालों को अलग से पोषण प्रदान करने की परिकल्पना मात्र भ्रम है तथा यह कम्पनियों द्वारा अपने उत्पाद बेचने के लिए मार्केटिंग की रणनीति का हिस्सा है। वास्तव में बालों की सेहत आदमी के सम्पूर्ण स्वास्थ्य से जुडी है और अगर व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है तो त्वचा और बालों की सेहत खुद ही अच्छी हो जाती है तथा बालों की सेहत को किसी भी व्यक्ति के सम्पूर्ण स्वास्थ्य से अलग करके कभी प्राप्त नहीं किया जा सकता।

उनका कहना है की बालों में केमिकल का कम से कम प्रयोग करना चाहिए तथा बालों को कलर और स्पा में प्रयोग किये जा रहे रासायनिक रंगों से कई बार चेहरे की त्वचा भी काली पड़ सकती है और बाल कमजोर होकर झड़ने लगते हैं । उनका कहना है ज्यादातर लोगों को बालों को कलर करने की सही तकनीक पता नहीं होती जिसकी बजह से उन्हें कलर करने से अनेक नुकसान झेलने पड़ते हैं। उनका कहना है कि बालों को कलर करने के लिए किसी सैलून की सेवाएँ लेनी चाहिए और अगर यह महँगा लगे तो बालों को कलर करने के लिए अमोनिया और हाइड्रोजन परऑक्साइड को बराबर मात्रा में मिलाकर बालों पर मात्र आधा घण्टा ही लगाना चाहिए जबकि इससे ज्यादा देर तक रासायनिक पदार्थों को बालों पर लगा रहने से बालों और स्कैल्प को नुकसान हो सकता है। बाल पतले और कमजोर हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि कन्घी का चयन करते समय भी बालों की बनाबट को ध्यान में रखना चाहिए और घुंघराले बालों के लिए पतली कंघी का उपयोग करना चाहिए जबकि सीधे बालों के लिए सामान्य लकड़ी की कंघी उचित रहती है। उन्होंने कहा कि हेयर स्टाइलिंग की अवधि बालों की लम्बाई स्वास्थ्य के अनुरूप तय करनी चाहिए। अगर बाल छोटे हों तो यह अवधि पांच मिनट और लम्बे घने बालों को पन्द्रह मिनट तक हेयर स्टाइलिंग की जा सकती है तथा इससे ज्यादा समय तक हेयर स्टाइलिंग से बालों को नुकसान हो सकता है।

उन्होंने शैम्पू के बारे में भ्रांतियों को दूर करते हुए कहा कि स्कैल्प साफ करने के लिए आप रोजाना माइल्ड शैम्पू का उपयोग कर सकते हैं और शैम्पू महंगा साबित हो रहा है तो सामान्य साबुन से भी बालों को साफ किया जा सकता है और दोनों के बराबर ही परिणाम सामने आते है। खादी भण्डार में बिकने बाले सामान्य आर्गेनिक शैम्पू और साबुन बालों के लिए सबसे बेहतर होते हैं और महँगे शैम्पू और साबुन का उपयोग मात्र पैसे की बर्बादी साबित होती है। उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र में सामान्यत प्रयोग में लाये जा रहे तेल को बालों पर उपयोग किया जा सकता है तथा कहा की उत्तर भारत में सरसों का तेल और दक्षिण भारत में नारियल का तेल बालों के लिए सबसे बेहतर साबित होगा। उन्होंने महंगे खुशबूदार /सुगन्धित तेलों को बालों पर उपयोग न करने की सलाह दी और कहा कि इन तेलों को ट्रीट करके बनाया जाता है जोकि कई बार बालों को नुकसान दे सकते हैं। उनका कहना है की एक बार सफेद हो चुके बालों को मात्र केमिकल रंगों के प्रयोग से ही काला किया जा सकता है और बालों को आयुर्वेदिक या अन्य आर्गेनिक तरीकों से काला करने की विधियाँ छलावा मात्र ही साबित होती हैं। सफेद और काले बाल दोनों के लिए केवल एक जैसे उत्पाद ही बराबर उपयोगी साबित होते हैं और बालों की बनाबट में भिन्नता की बजह से अलग उत्पादों के उपयोग की परिकल्पना पूर्णतय गलत है।

शेखर

वार्ता

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