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चूहों से बचे अनाज तो भर जाये आधी आबादी का पेट

चूहों से बचे अनाज तो भर जाये आधी आबादी का पेट

नयी दिल्ली 22 सितम्बर (वार्ता) छोटे-छोटे नटखट शरारती चूहे केवल तरह-तरह की बीमारी फैलाकर ही लोगोें को भारी हानि नहीं पहुँचाते हैं बल्कि वे सालाना इतने अनाज का नुकसान करते हैं जिससे विश्व की आधी आबादी का पेट भरा जा सकता है।

राष्ट्रीय आँकड़ों के अनुसार चूहे देश में खेतों में खड़ी फसलों को पाँच से 15 प्रतिशत तक हानि पहुँचाते हैं। चूहे से खाद्यान्नों का अनुमानित हानि सालाना 24 लाख टन से 26 लाख टन है। एक अनुमान के अनुसार, देश में करीब 240 करोड़ चूहे हैं और छह चूहे रोजाना एक आदमी का खाना खा जाते हैं। पान्से कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार भंडारण में लगभग 2.5 प्रतिशत नुकसान चूहों के कारण होता है। चूहे रोजाना अपने शरीर के वजन का लगभग आठ से पन्द्रह प्रतिशत खाद्यान्न खा जाते हैं।

चूहों से कृषि को होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर के तहत अखिल भारतीय कृन्तक (रोडेंट) नियंत्रण अनुसंधान की समन्वित परियोजना चल रही है जिसमें चूहों ने निपटने के लिए वैज्ञानिक किसानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। कृन्तक नियंत्रण नेटवर्क से जुड़े शोध के अनुसार चूहों में असीमित प्रजनन क्षमता होती है। एक जोड़ा चूहा एक वर्ष में 800 से 1200 तक चूहों को जन्म देता है। मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला जरबिल चूहा एक साल तक बिना पानी के जीवित रह सकता है। चूहा तीन से सात दिन तक पानी और भोजन के बिना रह सकता है। पिछले वर्ष जर्मनी में आयोजित इंटरनेशनल रोडेंट बायलॉजी एंड मैनेजमेंट सम्मेलन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर दिन लगभग 40 लाख चूहे जन्म लेते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार चूहे में छेनी के आकार की एक जोड़ी कुतरने वाली दांत होते हैं जिसे इंसाइजर कहा जाता है। ये दांत प्रतिदिन 0.4 मिलीमीटर की दर से बढते रहते हैं। इस प्रकार ये एक साल में 12 से 15 सेन्टीमीटर बढ सकते हैंं। इस कारण चूहे हमेशा अपने दांतों की घिसाई करते रहते हैं। चूहे यदि ऐसा नहीं करें तो ये दांत बढकर उसके मस्तिष्क या मुंह को छेद सकते हैं इसलिए वे कठोर से कठोर वस्तु पर अपना दांत घिसते हैं।

हमारे देश में चूहों की मुख्य रुप से तीन प्रजातियां हैं जिनमें घरों में रहने वाले , खतों में रहने वाले तथा घरों और खेतों में रहने वाले शामिल हैं। ये बहुत चालाक और शंकालू स्वाभाव के जीव हैं। चूहे आम तौर पर रात में भोजन करते हैं। उनके परिवार में किसी सदस्य की मौत होती है तो वे चिन्तित हो जाते हैं। चूहे अपना मल - मूत्र भी खाते हैं। वे 15 से 25 मिलीलीटर मूत्र त्यागते हैं।

चूहे पांच सप्ताह से दो माह के दौरान प्रजनन योग्य हो जाते हैं। चूहिया एक बार में दो से दस बारह बच्चों को जन्म दे सकती है। वर्ष 2003 में आस्ट्रेलिया में चूहों पर आयोजित एक सम्मेलन में विशेषज्ञों का मानना था कि चूहे 70 प्रकार की बीमारी फैला सकते हैं।

अरुण.संजय

वार्ता

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