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बेअदबी मामलों के दस्तावेज पंजाब पुलिस को सौंपा जाना सरकार की जीत :अमरिंदर

बेअदबी मामलों के दस्तावेज पंजाब पुलिस को सौंपा जाना सरकार की जीत :अमरिंदर

चंडीगढ़, 04 फरवरी (वार्ता )पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बेअदबी मामलों के दस्तावेज सीबीआई द्वारा पंजाब पुलिस को सौंपे जाने को राज्य सरकार की जीत करार दिया है।

उन्होंने आज यहां कहा कि शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के राजग सरकार से नाता तोड़ लेने के कुछ महीनों में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) की ओर से कल बेअदबी मामलों के दस्तावेज राज्य पुलिस को सौंपे जाने से साबित हो गया है कि शिअद की मिलीभगत से इसमें देरी हो रही थी।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की तरफ से सी.बी.आई. के लिए तय की गई तारीख़ के गुजऱ जाने के कुछ घंटे पहले केंद्रीय एजेंसी द्वारा इन मामलों से सम्बन्धित दस्तावेज़ और फाइलें पंजाब पुलिस को सौंप दी गईं।

ज्ञातव्य है कि सीबीआई ने 18 जनवरी सी.बी.आई. के निदेशक को पत्र लिखकर कहा था कि सी.बी.आई. से बेअदबी मामलों की जांच वापस लेने के बाद राज्य सरकार को समूचा रिकार्ड वापस किया जाये और इसके साथ-साथ सी.बी.आई. को 2 नवंबर, 2015 को जारी नोटिफिकेशन नंबर 7/52113-एच/619055/1 के अंतर्गत स्थानांतरित किये गए मामलों सम्बन्धी इकठ्ठा किये सबूतों समेत सारा रिकार्ड भी लौटाया जाये।

मुख्यमंत्री ने बेअदबी संबंधी फाइल पुलिस को सौेंपे जाने को राज्य सरकार की जीत बताते हुए कहा कि इससे उनकी सरकार के उस स्टैंड की भी पुष्टि हो गई कि सी.बी.आई. की ओर से अकाली दल के इशारे पर पंजाब पुलिस की विशेष जांच टीम (एस.आई.टी.) द्वारा की जा रही जांच में रुकावटें पैदा करने की कोशिशें की गई थीं क्योंकि सितम्बर, 2020 तक अकाली दल केंद्र में एन.डी.ए. का सहयोगी था।

कैप्टन सिंह ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया कि हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय मंत्री के नाते केंद्रीय जांच एजेंसी पर दबाव बना रही थीं कि केस के साथ जुड़ी फाइलें पंजाब पुलिस को न सौंप कर एस.आई.टी. की जांच में रोड़े अटकाए जायें क्योंकि वह यह बात जानते हैं कि यदि पुलिस जांच को कानूनी नतीजे पर ले गई तो इस समूचे घटनाक्रम में उनकी पार्टी की भूमिका का पर्दाफाश हो जायेगा।

उन्होंने कहा कि अब एस.आई.टी. की जांच पूरी हो जाने पर साल 2015 की घटनाओं में अकाली दल का हाथ होने और उसके बाद निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच में रुकावटें पैदा करने के लिए किये गए यत्नों का पर्दाफाश हो जायेगा। उन्होंने कहा कि किसी को भी बक्शा नहीं जायेगा ।

उनके अनुसार उनकी सरकार ने साल 2018 में ही विधानसभा की सर्वसम्मति से इन मामलों की जांच के लिए सी.बी.आई. को दी अनुमति वापस ले ली थी । इस बारे में जांच के लिए उस समय एस.आई.टी. का गठन भी किया गया था। केंद्रीय एजेंसी ने दो वर्षों तक लगातार राज्य को इस मामले के साथ सम्बन्धित फाइलें सौंपने से इन्कार कर दिया और इस मामले सम्बन्धी पहले क्लोजऱ रिपोर्ट दाखि़ल करने वाली एजेंसी ने सितम्बर, 2019 में एक नयी जांच टीम बना दी जिसका मकसद राज्य सरकार को अपने स्तर पर निष्पक्ष और तेज़ी के साथ जांच करने से साफ़ तौर पर रोकना था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हैरानी की बात है कि हाई कोर्ट ने जनवरी, 2019 में राज्य सरकार के फ़ैसले को बरकरार रखने के बाद सी.बी.आई. द्वारा इस मामले के साथ सम्बन्धित डायरियां सौंपने से इन्कार कर दिया गया और फरवरी, 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फ़ैसले को चुनौती देते हुये सी.बी.आई. की अपील रद्द कर दी।

जून से अक्तूबर 2015 दौरान फरीदकोट के गाँव बुर्ज जवाहर सिंह वाला में एक गुरुद्वारा साहिब से गुरु ग्रंथ साहिब का स्वरूप चोरी होने के बाद पवित्र ग्रंथ की बेअदबी की घटनाएँ सामने आईं थीं और फरीदकोट के ही बरगाड़ी में गुरु ग्रंथ साहिब के बेअदबी किये पवित्र अंग मिले थे। इससे सिख भाईचारे में रोष फैल गया था।

इन घटनाओं के कारण अक्तूबर, 2015 में व्यापक स्तर पर धरने और रोष प्रदर्शन हुए। पुलिस की तरफ से जवाबी कार्रवाई में दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए थे। साल 2015 में ही उस समय की अकाली सरकार ने बेअदबी मामलों की जांच सी.बी.आई. को सौंप दी थी। सेवामुक्त जस्टिस ज़ोरा सिंह कमीशन की नियुक्ति की गई जिससे बेअदबी के इन मामलों और धरनों के समय पुलिस कार्रवाई की जांच की जा सके। साल 2016 में सरकार को रिपोर्ट सौंप दी गई।

साल 2017 में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद सरकार ने सेवामुक्त जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन का गठन किया जिसने अपनी रिपोर्ट साल 2018 में सौंपी थी।

शर्मा

वार्ता

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