अहमदाबाद, 04 सितंबर (वार्ता) पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के नेता हार्दिक पटेल का आमरण अनशन आज 11 वें दिन भी जारी है और उनके वजन में अब तक 20 किलोग्राम की कमी दर्ज की गयी है।
हार्दिक से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और भाजपा के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के अलावा भाजपा से पिछले साल त्यागपत्र देने वाले महाराष्ट्र के लोकसभा सांसद नाना पटोले और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री सुरेशभाई मेहता ने भी आज मुलाकात की।
श्री यशवंत सिन्हा ने हार्दिक के मुद्दों को सही ठहराते हुए कहा कि अब उनके आंदोलन को केवल गुजरात तक ही सीमित न रख कर देश भर में फैलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात को देख कर संतोष हुआ है कि लंबे आंदोलन और 20 किलो वजन गंवाने के बाद भी हार्दिक का स्वास्थ्य उन्हें अनशन करने की इजाजत दे रहा है।
श्री शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि हार्दिक की मांग न्यायोचित है। सरकार को उनसे बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने भाजपा के इस आरोप का कि हार्दिक का आंदोलन कांग्रेस प्रेरित है, सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है और यह सर्वदल प्रेरित है। हार्दिक के लंबे उपवास को लेकर समाज तो चिंतित है पर ना तो गुजरात और ना ही केंद्र की भाजपा सरकार इसको लेकर थोड़ी भी चिंतित दिख रही है। यह भी सवाल उठता है कि अगर अन्य भाजपा शासित राज्यों में किसानों का कर्ज माफ हुआ है तो गुजरात में ऐसा क्यों नहीं हुआ।
हार्दिक ने किसानों की कर्ज माफी तथा पाटीदार अथवा पटेल समुदाय को आरक्षण की मुख्य मांग को लेकर उनके यहां ग्रीनवुड रिसार्ट में अपने आवास पर गत 25 अगस्त से अनशन शुरू किया था। सरकार ने पूर्व में उनके कार्यक्रमों के दौरान हुई हिंसा के मद्देनजर उन्हें बाहर कही उपवास करने की अनुमति नहीं दी थी।
हार्दिक ने पिछले दो दिन से सरकारी डाक्टरों को अपने रक्त और मूत्र के नमूने जांच के लिए देने से इंकार कर रखा है और उनका यह सिलसिला आज भी जारी रहा। हालांकि यहां सोला सिविल अस्पताल की टीम ने उनके रक्तचाप, हृदय गति और फेफड़े, पेट आदि की रूटीन जांच आज की। डाक्टरों ने बताया कि अनशन के पहले दिन उनका वजन 78 किलो था जो अब घट कर 58 किलो 300 ग्राम हो गया है। डाक्टरों ने उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी। डा़ मनीषा पांचाल ने बताया कि वह सुबह में चक्कर आने तथा पेट दर्द की शिकायत कर रहे थे पर बिना अस्पताल में भर्ती हुए उन्हें सीधे तौर पर दर्द निवारक दवा भी नहीं दी जा सकती।
इस बीच, राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री सौरभ पटेल ने कहा कि तीन साल पहले जब हार्दिक ने आंदोलन शुरू किया था तभी यह कहा गया था कि यह कांग्रेस प्रेरित है और अब भी वह कांग्रेस के इशारे पर ही आंदोलन कर रहे हैं। कांग्रेस के लोग उन्हें पिछले दरवाजे से सलाह दे रहे हैं। उनसे मिलने वालों में भी अधिकतर कांग्रेस के नेता और मोदी विरोधी लोग ही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने गैर आरक्षित वर्ग के लाभ के लिए निगम और आयोग की स्थापना के अलावा भी कई कदम उठाये हैं। किसानों की आय बढ़ाने और उनके खर्च घटाने के लिए भी सरकार ने कई काम किये हैं और कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की योजना राज्य में हिंसा फैलाने की है। हालांकि उन्होंने शांति बनाये रखने के लिए पाटीदार समुदाय को धन्यवाद दिया। उन्होंने हार्दिक को डाक्टरों की बात मानने की सलाह दी।
उधर, हार्दिक के मुद्दे पर राज्य की छह पाटीदार संस्थाओं की एक बैठक भी आज यहां हुई। इसके बाद इनके प्रतिनिधि सी के पटेल ने पत्रकारों को बताया कि संस्थाएं हार्दिक के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं। अगर हार्दिक प्रेस नोट के जरिये अपनी इच्छा प्रकट करें तो संस्था के प्रतिनिधि उनकी ओर से सरकार से बातचीत कर सकते हैं और उनके उपवास का पारणा (समाप्त कराने की औपचारिक प्रक्रिया) भी कर सकते हैं।
इस बीच, पास की महिला नेता और हार्दिक की करीबी सहयोगी गीता पटेल ने कहा कि पाटीदार संस्था के साथ उन लोगों की कोई सीधी बातचीत नहीं हुई है। इसके प्रतिनिधि खुद मिलने आये थे और हार्दिक का समर्थन किया था। उनसे अनशन समाप्त करने के लिए पहल करने की कोई बात नहीं की गयी थी।
उधर, गुजरात हाई कोर्ट ने हार्दिक के आवास के निकट पुलिस की तैनाती को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई की और सरकार का जवाब मिलने पर पास का पक्ष जानने के लिए कल फिर सुनवाई करने का निर्णय लिया।
रजनीश
वार्ता