Saturday, Apr 20 2024 | Time 07:49 Hrs(IST)
image
राज्य


हरियाणा सरकार ने दी है सरस्वती नदी पुनरोद्धार परियोजना को मंजूरी: खट्टर

हरियाणा सरकार ने दी है सरस्वती नदी पुनरोद्धार परियोजना को मंजूरी: खट्टर

चंडीगढ़, 15 फरवरी(वार्ता) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि राज्य सरकार ने सरस्वती नदी के पुनरोद्धार के लिए एक परियोजना को मंजूरी दे दी है जिसके तहत आदि बद्री में सरस्वती बांध, सरस्वती बैराज और सरस्वती जलाशय का निर्माण किया जाएगा तथा साथ ही, कैनथल सप्लाई चैनल से मारकंडा और सरस्वती नदियों को भी जोड़ा जाएगा।

श्री खट्टर ने यमुनानगर जिले के आदिबद्री में चल रहे अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव-2021 के दौरान ‘सरस्वती नदी-नए परिप्रेक्ष्य और विरासत विकास’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठि को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित करते हुये यह बात कही। इस संगोष्ठि का आयोजन विद्या भारती संस्कृति संस्थान और हरियाणा सरस्वती हैरिटेज विकास बोर्ड ने किया था। परियोजना के पूरा होने पर लगभग 894 हेक्टेयर मीटर बाढ़ के पानी को सरस्वती जलाशय में मोड़ा जा सकेगा। केंद्रीय जल आयोग इस बांध की डिजाइनिंग पर काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी की खोज से जुड़े कार्यों में जो प्रगति हुई है, उसका श्रेय काफी हद तक स्वर्गीय दर्शन लाल जैन को जाता है। हालांकि वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार आज भी हमारे साथ हैं। उनके बताए मार्ग पर चलकर सरस्वती का पुनरोद्धार करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी के अस्तित्व को लेकर जो शंकाएं थीं, उन सबका समाधान हो चुका है और इसके प्रवाह के वैज्ञानिक प्रमाण मिल चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा को विश्वभर में वैदिक संस्कृति के उद्गम स्थल के नाम से जाना जाता है। इसका श्रेय यहां बहने वाली मां सरस्वती को ही जाता है जिसने अपनी गोद में इस संस्कृति का पालन-पोषण किया। उन्होंने कहा कि सरस्वती के पावन तट पर हमारे ऋषि-मुनियों ने वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी। ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व से ओत-प्रोत महाभारत का युद्ध भी सरस्वती तट पर स्थित धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में ही हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण ने ज्ञान, भक्ति और कर्म की अमर कृति श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान भी इसी पावन भूमि पर दिया था।

श्री खट्टर ने कहा कि कहा कि महाभारत में मिले वर्णन के अनुसार सरस्वती हरियाणा में यमुनानगर से थोड़ा ऊपर और शिवालिक पहाड़ियों से थोड़ा-सा नीचे आदिबद्री नामक स्थान से निकलती थी। आज भी लोग इस स्थान को तीर्थस्थल मानते हैं। वैदिक और महाभारत कालीन वर्णन के अनुसार इसी नदी के किनारे ब्रह्मावर्त था, कुरुक्षेत्र था, लेकिन आज वहां जलाशय हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इसरो, जी.एस.आई., एस.ओ.आई., ए.एस.आई., ओ.एन.जी.सी., एन.आई.एच. रुडक़ी, बी.ए.आर.सी., सरस्वती नाड़ी शोध संस्थान जैसे 70 से अधिक संगठन सरस्वती नदी विरासत के अनुसंधान कार्य में लगे हैं। अनुसंधान, दस्तावेजों, रिपोर्टों, और वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर यह साबित हो गया है कि सरस्वती नदी के प्रवाह भूगर्भ में अभी भी आदिबद्री से निकल रहे हैं और गुजरात के कच्छ तक चल रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरस्वती, एक नदी रूप में विलुप्त होने के बावजूद विद्या की देवी के रूप में भारतीय मानस-पटल पर सदा अंकित रही है। शायद यही कारण रहा होगा कि सरस्वती के पावन तटों पर ऋषि-मुनियों ने वेदों-उपनिषदों की रचना कर ज्ञान की धाराएं बहाईं। अभी तक हड़प्पा सभ्यता को सिर्फ सिंधु नदी की देन माना जा रहा था, लेकिन शोधों से सिद्ध हो गया है कि सरस्वती का इस सभ्यता में बहुत बड़ा योगदान है। यदि हड़प्पा सभ्यता की 2600 बस्तियों को देखें तो पाते हैं कि वर्तमान पाकिस्तान में सिंधु तट पर मात्र 265 बस्तियां थीं, जबकि शेष अधिकांश बस्तियां सरस्वती नदी के तट पर मिलती हैं।

उन्होंने कहा कि सिंधु सभ्यता के उत्थान और पतन को समझने के लिए भी सरस्वती नदी की उत्पत्ति और विलुप्त होने का पता लगाना अत्यावश्यक है। सरस्वती पर शोध और अन्य कार्यों के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2015 में ‘सरस्वती हरिटेज विकास बोर्ड’ की स्थापना की थी जिसका मुख्य कार्य इस पवित्र नदी का पुनरोद्धार और सम्पूर्ण विश्व के समक्ष भारतीय सांस्कृतिक विरासत को उजागर करना है। सरस्वती नदी का पुनरोद्धार हमारी समृद्ध सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और पुरातात्विक विरासत से सम्बंधित राष्ट्रीय गौरव का विषय है।

श्री खट्टर के अनुसार भारतीय सर्वेक्षण विभाग के पुराने मानचित्रों के अनुसार सरस्वती नदी योजना को अंतिम रूप दिया गया है। इसरो, हरसेक, सीजीडब्ल्यूबी और अन्य वैज्ञानिक संगठनों द्वारा सरस्वती नदी के पुरापाषाण काल का परिसीमन और मानचित्रण तैयार किया गया है। हरियाणा सरस्वती हैरिटेज विकास बोर्ड ने अनुसंधान गतिविधियों के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न संगठनों के साथ पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें तेल और प्राकृतिक गैस निगम, नई दिल्ली, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, हैदराबाद, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुडक़ी और भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण, लखनऊ शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी का पुनरोद्धार प्राचीन सरस्वती विरासत को पुनर्जीवित करेगा और दुनिया की सबसे पुरानी सरस्वती नदी सभ्यता को दुनिया के सामने लाएगा। सरस्वती नदी में गिरने वाले सभी 23 छोटे चैनलों और नालों को सरस्वती नदी का नाम दिया गया है। इससे सरस्वती नदी के तीर्थों का महत्व और अधिक बढ़ेगा। यह परियोजना ऐसे सभी स्थानों को विकसित करने के लिए भी लाभदायक होगी जहां इस नदी और उसकी विरासत के प्रमाण मौजूद हैं। सरस्वती नदी में जल के बारहमासी प्रवाह से भूजल स्तर का पुनर्भरण होगा, क्योंकि हरियाणा का अधिकांश क्षेत्र डार्क जोन में बदल गया है। इसके अलावा, सरस्वती नदी के साथ सोम और घग्गर, दोनों नदियों को परस्पर जोड़ने का कार्य चल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई में सुधार और भूजल रिचार्जिंग का लाभ मिलेगा।

उन्होंने कहा कि आदिबद्री से सिरसा तक कुरुक्षेत्र, पिहोवा, हिसार, राखी-गढ़ी, फतेहाबाद और सिरसा में राष्ट्रीय स्तर के पर्यटन सर्किट के विकास से इन क्षेत्रों में तीर्थाटन के नए अवसर सृजित होंगे, जिसके परिणामस्वरूप रोजगार और व्यापार के नए अवसर पैदा होंगे। सरस्वती नदी के साथ रिवर फ्रंट डेवलपमेंट से मूलभूत सुविधाओं में सुधार होगा और इस क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। साथ ही, सरस्वती नदी के तट पर वनीकरण से पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने इस मौके पर प्रदेशवासियों को मां सरस्वती के पावन पर्व ‘बसंत पंचमी’ की अग्रिम शुभकामनाएं भी दीं।

इससे पहले, केंद्रीय जलशक्ति राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया, हरियाणा के खेल एवं युवा मामले राज्यमंत्री संदीप सिंह तथा त्रिनिदाद और टोबैगो के उच्चायुक्त डॉ. रोजर गोपॉल ने भी संगोष्ठि में अपने विचार रखे। इसमें कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सैनी, थानेसर से विधायक सुभाष सुधा, हरियाणा सरस्वती हैरिटेज विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं हरियाणा सरस्वती हैरिटेज बोर्ड के सलाहकार अमित झा, विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक रामेंद्र सिंह और अन्य गणमान्यों ने भाग लिया।

रमेश1626वार्ता

More News
त्रिपुरा में 81 प्रतिशत मतदान, विपक्ष ने जताई गड़बड़ी की आशंका

त्रिपुरा में 81 प्रतिशत मतदान, विपक्ष ने जताई गड़बड़ी की आशंका

19 Apr 2024 | 11:41 PM

अगरतला, 19 अप्रैल (वार्ता) त्रिपुरा में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में शुक्रवार को 1,685 मतदान केंद्रों पर अनुमानित 81 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।

see more..
सिक्किम में शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ चुनाव, शाम 7 बजे तक 68 प्रतिशत से अधिक मतदान

सिक्किम में शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ चुनाव, शाम 7 बजे तक 68 प्रतिशत से अधिक मतदान

19 Apr 2024 | 11:38 PM

गंगटोक, 19 अप्रैल(वार्ता) सिक्किम की 32 विधानसभा सीटों और एक मात्र लोकसभा सीट के लिए शुक्रवार को हुये मतदान में 68.06 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

see more..
image