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हाईकोर्ट से मिली भाजपा प्रत्याशी निशंक को राहत

हाईकोर्ट से मिली भाजपा प्रत्याशी निशंक को राहत

नैनीताल 02 अप्रैल (वार्ता) उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार एवं सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को उच्च न्यायालय से फिलहाल राहत मिली गयी है। न्यायालय ने निशंक के नामांकन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। हालांकि अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता इस मामले में चुनाव याचिका दायर कर सकता है।

उच्च न्यायालय की ओर से पहले दिन से ही याचिका की पोषणीयता पर सवाल खड़े किये जाते रहे हैं। याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले में तमाम दलीलें पेश की गयीं लेकिन अदालत दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ। आखिरकार अदालत ने आज याचिका को खारिज कर दिया। याचिका के खारिज होने से श्री निशंक को काफी राहत मिली है।

भाजपा उम्मीदवार के नामांकन को चुनौती हरिद्वार संसदीय सीट से निर्दलीय प्रत्याशी मनीष वर्मा की ओर से दी गयी थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि भाजपा प्रत्याशी ने अपने नामांकन पत्र में तथ्यों को छुपाया है। श्री निशंक की ओर से पेश नामांकन पत्र में अपने परिवार की सम्पत्ति एवं आय का खुलासा नहीं किया गया है। साथ ही उन पर बतौर पूर्व मुख्यमंत्री रहते हुए सरकारी आवास के किराये के रूप में लाखों की देनदारी शामिल है।

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि श्री निशंक की ओर से इस तथ्य को भी नामांकन पत्र में नहीं दर्शाया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से इस आधार पर भाजपा प्रत्याशी के नामांकन को रद्द करने की मांग की गयी। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को आगे बताया गया कि भाजपा प्रत्याशी के नामांकन को लेकर उन्होंने चुनाव आयोग में आपत्ति दर्ज की लेकिन आयोग ने उनकी आपत्ति को खारिज कर दिया। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा सांसद की ओर से इस मामले का विरोध किया गया। श्री निशंक के अधिवक्ता पंकज चतुर्वेदी की ओर से अदालत को बताया गया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास किराये को लेकर दायर वाद उच्च न्यायालय में लंबित है। उन्होंने सरकारी आकलन के आधार तय की गयी किराये की रकम को सरकारी खजाने में जमा कर दिया है। इस मामले में न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ में पिछले दो दिन से लगातार सुनवाई हुई।

अदालत ने आज इस मामले में सख्त रूख अख्तियार करते हुए सरिता आर्य बनाम हेम आर्य का हवाला देते हुए याचिका की पोषणीयता पर सवाल खड़े किये। अंततः अदालत ने चुनाव आयोग, श्री निशंक एवं याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा कि याचिका पोषणीय नहीं है। वह चाहे तो अंत में इस मामले में चुनाव याचिका दायर कर सकता है।

रवीन्द्र, उप्रेती

वार्ता

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