चित्तौड़गढ़, 25 सितम्बर (वार्ता) राजस्थान के राजघरानों में महाराणा एवं महाराजा जैसी पदवियां भले ही लोकतंत्र में समाप्त हो चुकी हैं, लेकिन पूर्व मेवाड़ रियासत के उत्तराधिकारी महेंद्रसिंह एवं उनके भाई अरविंदसिंह के बीच इस पदवी को लेकर लम्बे अरसे से जारी अंत:संघर्ष अब खुलकर सामने आ गया है।
श्री अरविंद सिंह ने अपने बड़े भाई का नाम वंशावली से हटाकर संघर्ष बढ़ा दिया है। इससे अंचल के राजपूत ठिकानों में परस्पर टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उनके इस कदम पर अन्य ठिकानेदारों ने आपत्ति जताते हुए श्री अरविंद का खुला विरोध प्रारम्भ कर दिया है। इससे क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने का अंदेशा है।
मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के जिला महामंत्री तेजपालसिंह शक्तावत बताते हैं कि मेवाड़ के महाराणा भगवतसिंह जी के दो पुत्र हैं। बड़े महेन्द्रसिंह और छोटे अरविन्दसिंह। परम्परानुसार मेवाड़ के सभी पूर्व सामंत एवं जागीरदारों की उपस्थिति में मेवाड़ की गद्दी पर महाराणा भगवतसिंह जी के स्वर्गवास के पश्चात् ज्येष्ठ पुत्र महेंद्रसिंह का राजतिलक हुआ। जिसके बाद से अब तक मेवाड़ ही नहीं पूरा देश उन्हें ही महाराणा मानता है। उन्होंने बताया कि मेवाड़ के पूर्व राजघराने के महल एवं अन्य सम्पत्तियों पर न्यायालय में मुकदमा विचाराधीन है। इन पर फिलहाल भगवतसिंह के छोटे पुत्र अरविन्दसिंह का कब्जा है।
हाल ही में जिस तरह उनकी संस्था द्वारा प्रकाशित कलेण्डर नाम वाली पुस्तिका की वंशावली में जो तथ्य दर्ज किये गये हैं उससे स्पष्ट है कि अरविन्दसिंह खुद को इतिहास में मेवाड़ का महाराणा की पदवी से विभूषित करवाना चाहते हैं। इसका साफ अर्थ है कि विवादित सम्पत्ति पर कब्जे के बाद वह अपना अधिकार जताने के साथ ही महाराणा की पदवी पर भी कब्जा करना चाहते हैं जो मेवाड़ की जनता और पूर्व ठिकानेदारों ने उन्हें नहीं दिया।
महाराणा मेवाड़ हिस्टोरिकल पब्लिकेशन्स ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित ‘द पैलेस कैलेण्डर1987-2018’ नामक पुस्तक में मेवाड़ राजघराने की आदित्य नारायण (अव्य) से लेकर अब तक की वंशावली प्रकाशित की गई है। जिसमें महाराणा भगवतसिंह के बाद सीधे अरविन्दसिंह और उनके पुत्र लक्ष्यराज के नाम का उल्लेख किया गया है। इस वंशावली से ज्येष्ठ पुत्र महाराणा महेन्द्रसिंह एवं उनके पुत्र महाराज कुंवर विश्वराजसिंह का नाम तक हटा दिया गया है। इस मिथ्या तथ्यों का उल्लेख किया गया है कि महाराज कुमार महेन्द्रसिंह उपचाररत हैं और स्वेच्छा से मेवाड़ के राज परिवार की सदस्यता से विमुक्त हुए। यह टिप्पणी आभार सहित सहदेवसिंह वाला, डाॅ. ओंकार सिंह राठौड़ और नरेन्द्र मिश्र के हवाले से लिखवायी गई हैं। यह तथ्यों से परे है। सम्पति को लेकर दोनों भाईयों के मध्य मामला न्यायालय में चल रहा है। इसका निर्णय तो न्यायालय करेगा, लेकिन महाराणा की पदवी मेवाड़ की जनता, मेवाड़ के पूर्व ठिकानेदार एवं राजपूती परम्पराएं तय करती हैं।
मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के जिलाध्यक्ष सहदेवसिंह राणावत, उपाध्यक्ष करणसिंह बराड़ा, संयुक्त मंत्री महेन्द्रसिंह, कोषाध्यक्ष विजेन्द्रसिंह शेखावत सहित मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के सभी तहसील के पदाधकारियों एवं सदस्यों ने संयुक्त बयान जारी करके कहा है कि इस प्रकार इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने एवं बिगाड़ने पर समूचे मेवाड़ के राजपूत समाज सहित आमजन में आक्रोश व्याप्त है। इस कैलेण्डर में अंकित गलत तथ्यों को हटाने के लिये अरविन्दसिंह को पत्र लिखा गया है। इन लोगों ने चेतावनी दी है कि इन तथ्यों को नहीं हटाया तो भविष्य में राजपूत समाज की अन्य विभिन्न संस्थाओं के साथ मेवाड़ क्षत्रिय महासभा आन्दोलन करेगी।
व्यास सुनील
वार्ता