नयी दिल्ली, 27 जनवरी (वार्ता) बुजुर्गों की जरूरतों और चिंताओं को दूर करने की दिशा में काम करने वाली गैर-सरकारी संस्था हेल्पेज इंडिया ने सरकार से बुजुर्गों के कल्याण के लिए अलग मंत्रालय बनाने की सिफारिश की है।
संगठन ने आम बजट पेश किये जाने से पहले केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को प्रस्तुत ज्ञापन में वयोवृद्ध लोगों के कल्याण के लिए उनकी आय, स्वास्थ्य सुरक्षा, देखभाल के लिए सरकारी योजनाओं में विस्तार किये जाने और इनके निर्धारण में वरिष्ठ नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने की मांग की है।
हेल्पेज इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोहित प्रसाद ने यहां एक बयान में कहा कि महामारी के बाद के समय में बुजुगों की देखभाल करने के उपायों के प्रति तत्काल कार्रवाई, समावेशन और क्रियान्वयन की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि कोरोना महामारी के आने के बाद से बुजुर्ग ज्यादा खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि 14 करोड़ अनुमानित बुजुर्ग आबादी वाले भारत में अगले तीन दशकों में और अधिक बुजुर्ग होंगे। वर्ष 2047 तक यह 20 प्रतिशत तक बढ़ जायेगी। ऐसी स्थिति के मद्देनजर बुजुर्गों के आर्थिक एवं स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्काल उपाय किये जाने की जरूरत है। इसके लिए संसाधानों का पर्याप्त आवंटन जरूरी है।
उन्होंने कहा,“ हम वृद्धावस्था पेंशन बढ़ाकर न्यूनतम 3000 रुपये प्रति माह करने, वृद्ध महिलाओं और वृद्धों के लिए सर्वव्यापी कवरेज पर प्राथमिकता के साथ, परिवार की देखभाल करने वालों को टैक्स छूट प्रदान करके देखभाल करने वालों को प्रोत्साहित करना, मौजूदा वित्तीय, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक देखभाल प्रणालियों को पर्याप्त धन आवंटन के साथ मजबूत करना और सरकार से एक आयुष्मान (दीर्घायु) मंत्रालय स्थापित करने की अपील करते हैं ताकि बुजुर्गों से संबंधित विविध मुद्दों और उनके लिए कार्यक्रमों का बेहतर तरीके से प्रबंधन किया जा सके। ”
श्री प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) बुजुर्गों, विशेष रूप से बुजुर्ग महिलाओं, सबसे बुजुर्ग वयस्कों और विकलांग बुजुर्गों के लिए नामांकन अभियान चलाया जाए। पीएमजेएवाई एक समावेशी स्वास्थ्य आश्वासन योजना है और बुजुर्गों को कवर करती है, इसलिए पात्र बुजुर्गों को कवर करने पर एक विशेष ध्यान / अभियान पर विचार किया जा सकता है, क्योंकि उन्हें अस्पताल में भर्ती होने का बहुत अधिक जोखिम होता है और यही पीएमजेएवाई का मुख्य फोकस है। आयकर दाताओं को छोड़कर, देश की सभी 80 वर्ष से अधिक की बुजुर्ग आबादी पीएमजेएवाई द्वारा कवर की जाएगी।
उन्होंने कहा कि सभी जिलों में कार्यक्रम के त्वरित और प्राथमिकता वाले कार्यान्वयन की आवश्यकता के साथ बुजुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीएचसीई), जो बुजुर्गों के लिए एकमात्र वृद्धावस्था देखभाल कार्यक्रम (2010 में शुरू किया गया) है, पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। बजटीय आवंटन के ‘फ्लेक्सी-पूल’ में आवंटन की बजाए सीधे इस अनूठी पहल को किए जाने वाले आवंटन से यह बेहतर प्रदर्शन करेगा।
श्री प्रसाद ने कहा कि बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने वाली महिलाओं और परिवार की देखभाल करने वाली वृद्ध महिलाओं के लिए विशेष देखभाल भत्ते के नए प्रावधान की सिफारिश की गई है। इस योजना के लिए कम आय वाले परिवारों की महिलाओं का चयन किया जा सकता है। महामारी के बाद बुर्जुगों की समस्याएं बढ़ गई हैं और वृद्धों के जीवन की लंबे समय तक स्थायित्वपूर्णता के लिए तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि वे सम्मान और देखभाल के साथ जीवन जी सकें, जो अब पहले से कहीं अधिक अनिवार्य है।
हेल्पेज इंडिया में पॉलिसी रिसर्च एंड एडवोकेसी हेड अनुपमा दत्ता ने कहा, “ इस साल के बजट में दो प्रमुख क्षेत्रों को संबोधित करने की जरूरत है, जिसमें वृद्ध आबादी में बढ़ती महिलाओं की संख्या और वृद्ध महिलाओं पर ध्यान दिए जाने के साथ सर्वाधिक बुजुर्गों की संख्या में अनुपात से ज्यादा वृद्धि शामिल है, जिन्हें पीएमजेएवाई और जैसी कुछ ऐतिहासिक योजनाओं में नामांकित करने की आवश्यकता है। ”
उन्होंने कहा कि साथ ही उन्हें वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है। इसके अलावा दीर्घकालिक देखभाल प्रणालियों को स्थापित करने की भी तत्काल आवश्यकता है। विशेष रूप से महिलाएं देखभाल करने में असमान रूप से योगदान करती हैं। वे प्रमुख देखभालकर्ता बनी रहती हैं लेकिन अपने बुढ़ापे में उन्हें संघर्ष करना पड़ता है। यही समय है कि हम इस तथ्य को पहचानें और उन्हें समाज में सफलतापूर्वक योगदान देने और स्वतंत्र रूप से जीने में सक्षम बनाने के लिए कदम उठाएं।
श्रवण.मनोहर
वार्ता