राज्य » अन्य राज्यPosted at: Sep 26 2019 6:51PM परिसंपत्तियों के हस्तांतरण के मामले में हाईकोर्ट ने उप्र सरकार से मांगे सही आंकड़े
नैनीताल, 26 सितम्बर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच परिवहन निगम की परिसंपत्तियों के बंटवारे को गंभीरता से लिया है और उप्र सरकार को परिसंपत्तियों से संबंधित सही आंकड़े न्यायालय में पेश करने के निर्देश दिये हैं।
उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड परिवहन निगम के कर्मचारियों को तीन माह से वेतन नहीं मिलने के मामले में सरकार को 12 करोड़ की धनराशि दो सप्ताह में अवमुक्त करने के निर्देश दिये हैं।
मामले की सुनवाई गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में हुई। अदालत में सचिव परिवहन शैलेश बगौली व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। इस दौरान याचिकाकर्ता उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से अदालत को बताया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से परिवहन निगम की परिसंपत्तियों का हस्तांतरण नहीं किया गया है।
उत्तराखंड को परिसंपत्तियों के बदले लगभग 800 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सचिव परिवहन से पूछा कि सरकार की ओर से अभी तक क्या कदम उठाये गये हैं। साथ ही अदालत ने सरकार से भी पूछा कि उसने इस मामले में अभी तक उच्चतम न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया है। इसके बाद अदालत ने उप्र सरकार से अगली तिथि तक सही आंकड़े अदालत में पेश करने को कहा है।
अदालत ने उत्तराखंड परिवहन निगम के कर्मचारियों को तीन माह से वेतन का भुगतान नहीं होने के मामले को भी गंभीरता से लेते हुए सरकार को 12 करोड़ की धनराशि दो सप्ताह में अवमुक्त करने के निर्देश दिये हैं। सचिव परिवहन की ओर से अदालत को बताया गया कि निगम की सरकार के प्रति 85 करोड़ रुपये की देनदारी है। अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि वह यह भी बताये कि बाकी धनराशि कब तक अवमुक्त की जायेगी।
इसके अलावा याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार ने उनके वेतन से काटे गये चार करोड़ 57 लाख रुपये को भी वेतन समिति में जमा नहीं किये हैं। इसके बाद उच्च न्यायालय ने निगम व सरकार को याचिका में उठाये गये बिन्दुओं पर विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। दूसरी ओर यूनियन के अध्यक्ष कमल पपनै और महासचिव अशोक चौधरी की ओर से कहा गया कि निगम के कर्मचारियों को अकेले एक माह के वेतन के रूप में 21 करोड़ का भुगतान करना पड़ता है। इसलिये सरकार को जल्द शेष राशि का भुगतान करना चाहिए। तभी कर्मचारियों को तीन माह का वेतन का भुगतान हो सकेगा।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से इसी साल एक जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि निगम की माली हालत काफी खराब है। निगम के कर्मचारियों को तीन माह से वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। सरकार पर विभिन्न मदों में 85 करोड़ रुपये की देनदारी शेष है। उप्र परिवहन निगम की ओर से भी परिसंपत्तियों के हस्तांतरण के बदले 800 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया जा रहा है। मामले में अगली सुनवाई आगामी 14 अक्टूबर को होगी।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता