राज्य » अन्य राज्यPosted at: May 28 2020 7:09PM सुब्रह्मण्यम की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश
नैनीताल 28 मई (वार्ता) उत्तराखंड के बहुचर्चित चारधाम देवस्थानम बोर्ड अधिनियम के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुब्रहमण्यम स्वामी की ओर से दायर जनहित याचिका में उठाये गये बिन्दुओं पर सरकार कोई जवाब पेश नहीं कर पायी। उच्च न्यायालय ने सरकार को 11 जून तक जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं।
दूसरी ओर देहरादून की गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) रूरल लिटिगेशन एंड इनटाइटलमेंट केन्द्र (रलेक) की ओर से इस मामले हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र पेश कर कहा गया कि चारधाम के मंदिरों के लिये गठित अधिनियम उचित है और इससे किसी की धार्मिक भावनायें आहत नहीं होती हैं। सरकार बोर्ड के माध्यम से मंदिरों के प्रबंधन को अधिक उत्तरदायी बनाना चाहती है। इससे इन मंदिरों का विकास होगा। इससे भारतीय संविधान की धारा 14, 25 और 26 का उल्लंघन नहीं होता है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ में हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार को 11 जून तक जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि 30 जनवरी 2020 को प्रदेश सरकार की ओर से पारित अधिनियम असंवैधानिक है। सरकार ने चारधाम व उसके आसपास के 51 मंदिरों का प्रबंधन पूर्ण रूप से अपने हाथ में ले लिया है। यह उच्चतम न्यायालय के आदेशों के भी खिलाफ है।
सरकार मंदिरों का प्रबंधन पूर्ण रूप से अपने हाथ में नहीं ले सकती है। सरकार सिर्फ उन मंदिरों का अस्थायी रूप से प्रबंधन अपने हाथ में ले सकती है जिनमें भ्रष्टाचार की शिकायत मिली हो। इससे पहले 20 फरवरी को हुई सुनवाई में सरकार की ओर से याचिका की पोषणीयता पर ही सवाल उठाये गये। हालांकि अदालत ने अधिनियम पर रोक जारी नहीं की और सरकार को याचिका में उठाये गये सभी बिन्दुओं पर विस्तृत जवाब पेश करने के निर्देश दे दिये थे।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता