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हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि जीवनी शक्ति है:डॉ निशंक

हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि जीवनी शक्ति है:डॉ निशंक

नयी दिल्ली, 11 जनवरी (वार्ता) केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा है कि हिंदी हमारे लिए सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि यह हमारी जीवनी शक्ति और प्राण वायु है जो न केवल हमें एक दूसरे से जोड़ती है, बल्कि यह अहसास भी दिलाती है कि जब मन और आत्मा मिले हुए हों तो भौगोलिक दूरी कुछ मायने नहीं रखती।

डॉ निशंक ने मॉरिशस में मनाए जा रहे विश्व हिंदी दिवस के अवसर मॉरिशस की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। इंटरनेट के युग में हिंदी ने अपनी वैश्विक पहुंच में इजाफा किया है। ईमेल, एसएमएस, ई-कॉमर्स, ई-बुक, इंटरनेट में हिंदी को सहजता से स्वीकार किया जा रहा है। विश्व में हिंदी बाजार की भाषा बन रही है। गूगल, ओरकल, माइक्रोसॉफ्ट और आईबीएम जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हिंदी को बढ़ावा दे रही हैं। यह हिंदी की बढ़ती ताकत को दिखाता है। हिंदी तेजी से तकनीक की भाषा बन रही है। ब्रिटेन, जर्मनी, चीन और अमेरिका जैसे बड़े देशों में हिंदी स्कूल से लेकर कॉलेजों तक में पढ़ाई जाने वाली भाषा बन गई है। विश्व के करीब 115 शिक्षण संस्थानों में हिंदी का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है। हमें मिलकर इसे सयुंक्त राष्ट्र संघ में प्रतिष्ठित कराना है।

विश्व हिंदी दिवस के उद्देश्य पर डॉ निशक ने कहा, “10 जनवरी, 1975 को नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य दुनियाभर में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने का है ताकि हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में विश्व भर में जानी जाए। भले ही हम दुनियाभर में 2006 से विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाते हों, लेकिन इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं।”

उन्होंने वैश्विक पटल पर हिंदी के विकास के लिए मॉरिशस द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा, “मुझे प्रसन्नता है कि यहां हिंदी का पीढ़ी दर पीढ़ी विकास हो रहा है। विश्व हिंदी सम्मलेन में मॉरिशस की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। मॉरिशस में अब तक चार विश्व हिंदी सम्मलेन हो चुके हैं। इसके लिए हमें हिंदी के प्रचार-प्रसार में मॉरिशस की भूमिका की प्रशंसा करनी चाहिए। पिछला विश्व हिंदी सम्मलेन भी 2018 में मॉरिशस में संपन्न हुआ था। यह सम्मलेन अपने उद्देश्यों में काफी हद तक सफल रहा था।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिंदी को उसका वैश्विक रूप दिलाने के लिए भारत सरकार वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहे भारत हो या भारत से बाहर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर, दुनिया को हिंदी में ही संबोधित करते हैं। पिछले छह वर्षों में प्रधानमंत्री हिंदी को विश्व पटल पर गौरव दिलवाने में कामयाब रहे हैं।

उन्होनें कहा, “ हिंदी को लेकर उनके आग्रह का असर हमारी नई शिक्षा नीति पर भी दिखाई दिया है। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर विशेष बल दिया गया है। हमारा ही नहीं, विशेषज्ञों का भी मानना है कि बच्चों की प्रारम्भिक शिक्षा मातृभाषा में ही होनी चाहिए। इसका विशेष ध्यान नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में रखा गया है. नई शिक्षा नीति की सबसे बड़ी बात यह है की इसमें सभी शास्त्रीय भाषाओं का संरक्षण किया जाएगा।”

उन्होंने सभी का आह्वान करते हुए कहा कि मॉरिशस विश्व में हिंदी का प्रमुख केंद्र बने, इसलिए यहां विश्व हिंदी सचिवालय कि स्थापना की गई है और विश्व स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सचिवालय को और अधिक सशक्त बनाने की जरूरत है, इसलिए हम सबको मिलकर हिंदी को वैश्विक भाषा बनाने के लिए अपने प्रयासों में तेजी लानी चाहिए।

आजाद.श्रवण

वार्ता

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