भारतPosted at: Sep 1 2018 5:54PM हिंदी के विद्वान रत्नाकर पांडे का निधन
नयी दिल्ली, 01 सितम्बर (वार्ता) हिंदी के विद्वान और पूर्व सांसद रत्नाकर पांडे का लम्बी बीमारी के बाद शनिवार को यहां निधन हो गया।
वह 82 वर्ष के थे। उनके परिवार दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं। उनकी पत्नी कुसुम पांडे का तीन साल पहले निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार रविवार को वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। उनके बड़े पुत्र मधुकर पांडे ने बताया कि वह पिछले पांच माह से लगातार अस्वस्थ चल रहे थे। पत्नी के निधन के बाद से उन्होंने किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा लेना बंद कर दिया था।
राज्यसभा के सदस्य रहे श्री पांडे ने हिंदी के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान किया। उन्होंने राजभाषा को बढावा देने और सरकारी कार्यालयों में हिंदी के प्रयोग को बढावा देने के लिए निरंतर काम किया। अपने बड़े भाई सुधाकर पांडे के साथ उन्होंने नागरी प्रचारणी सभा का विस्तार किया और दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा तथा मैसूर हिंदी सम्मेलन की कई गतिविधियों में बढचढकर हिस्सा लिया।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त श्री पांडे ने तीसरे और चौथे हिंदी विश्व सम्मेलन के आयोजन में अहम भूमिका निभायी थी। वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के करीबी रहे।