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कोरोना राक्षस के वध के साथ निपट गई ऐतिहासिक रामलीला

कोरोना राक्षस के वध के साथ निपट गई ऐतिहासिक रामलीला

इटावा, 19 अक्टूबर (वार्ता) यूनेस्को की धरोहर के तौर विश्व विख्यात उत्तर प्रदेश में इटावा जिले के जसवंतनगर की रामलीला कोरोना रूपी रावण का वध करने के साथ ही मात्र एक दिन मे खत्म हो गई ।

यूनेस्को द्वारा धरोहर के तौर पर सम्मानित रामलीला वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण एक दिन में निपटायी गयी। कुल मिलाकर 165 वर्ष का इतिहास समेटने वाली यह रामलीला 1857 और 1858 में विश्वयुद्ध के चलते नही हुई थी। करीब 15 दिन तक हर साल होने वाला रामलीला महोत्सव रविवार को केवल एक दिन यानि कुछ घंटे में ही सम्पन्न कर दिया गया।

जसवंतनगर में वर्ष 1860 से हर साल रामलीला का आयोजन होता रहा है लेकिन इस वर्ष कोरोना काल के चलते नही हुआ,इस रामलीला की खासियत यह भी है कि 2005 में पूरे विश्व में हो रही 482 रामलीलाओं में इसे सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया था। ये रामलीला इसलिए भी भिन्न है क्योकि ये घुमंतू के साथ साथ मुखौटो वाली रामलीला है ।

इस रामलीला को यूनेस्को ने सबसे पहले इंडोनेशिया, फिजी ,श्रीलंका की रामलीलाओं को देखने के बाद मारीशस से आई इंद्राणी राम प्रसाद ने भारत में हो रही रामलीलाओं पर शोध किया और पाया कि इटावा के जसवंतनगर कस्बे की 162 वर्ष पुरानी रामलीला अपने आप मे अनूठी रामलीला है और तब इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर मानते हुए विश्व की पहली रामलीला माना तब से अब तक जसवंतनगर की रामलीला अपने पहले स्थान पर काबिज रही है।

इस रामलीला की खास बात ये है कि अंतिम दिन राम रावण का युद्ध कस्बे की सड़कों पर होता है और उसके देखने हजारों की तादाद में आज भी लोग आते है ,जसवन्तनगर की इस विश्वप्रसिद्ध रामलीला का कोविड के चलते न होने से यहाॅ के लोगों में मायूसी है।

जसवंतनगर मे दक्षिण भारतीय शैली के अनुसार रामलीला का आयोजन होता है एवं रावण के पुतले का भी दहन करने की बजाय लोग उसके पुतले को छिन्न-भिन्न कर उसकी अस्थियों को अपने साथ ले जाते हैं एवं वर्ष भर संजोकर रखते हैं। चूंकि रावण परम ज्ञानी व अनेकों ग्रंथो का ज्ञाता था इसलिए मान्यता है कि जिस घर मे उसकी अस्थियां रहती है । वहां कभी अनिष्ट नहीं होता हालांकि कई लोग इसे अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये भी सहायक मानते हैं ।

संभवत: पहली बार नगर में कोरोना रूपी राक्षस के पुतले का दहन कर ये संदेश देने का प्रयास किया गया है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के हाथों कोरोना रूपी राक्षस का वध कहीं न कहीं कोरोना के वध (समाप्ति) का संकेत है।

इन घण्टों में राम लक्ष्मण का डोला उठाया गया। राजगद्दी स्थल पहुंचा,वेदमंत्रोच्चार के साथ भगवान राम का राज्याभिषेक किया गया और फिर उस कोरोना दैत्य का वध भगवान राम और क्षेत्रीय विधायक और प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने वाण छोड़कर किया, जिसकी वजह से पूरा विश्व संकटग्रस्त है। इस तरह रामलीला महोत्सव का आयोजन नही हो सका, केवल प्रतीतात्मक हुआ।

रविवार 18 अक्टूबर के दिन को शायद ही जसवंतनगर वासी अपने दिलोदिमाग से निकाल सकें। यह वो मनहूस ही दिन माना जायेगा, जिस दिन लोग अश्रुपूरित नेत्रों से केवल राम लक्ष्मण सीता के दर्शन ही कर सकें और 15 दिन चलने वाली लीलाएं नही निहार सके।

कोरोना प्रोटोकाल और यहां रामलीला में जुटने वाली लक्खी भीड़ के मद्देनजर राम लीला समिति इस वर्ष आयोजन करने में असहाय हो गयी थी। फिर भी समित के अध्यक्ष अजय लम्बरदार, प्रबन्धक राजीव गुप्त बबलू और अन्य कार्यकर्ताओं ने एक दिनी आयोजन का बीड़ा उठाया।

इस आयोजन की शुरूआत परंपरागत रूप से नरसिंह मंदिर में राम आदि पात्रों के राजसी श्रृंगार के साथ हुई। भोग समाजसेवी पत्रकार वेदव्रत गुप्ता ने पात्रों का लगाया । इसके बाद 8 कहार, चारों भाई और सीता एवम गुरु वशिष्ठ को डोले पर बैठाकर चैक स्थित राजगद्दी स्थल बैंडबाजे के साथ लेकर पहुंचे। खुद उपजिलाधिकारी ज्योत्स्ना बन्धु, सीओ रमेश चंद्र, तहसीलदार रामानुज और समिति के व्यवस्थापक अजेंद्र सिंह गौर ने डोले की आगवानी पुष्प वर्षा और आरती से की । गोवर्धन से पधारे संतमण्डली ने भजनों से राजतिलक लीला का माहौल बनाया । इस अवसर पर अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डा. वाई पी सिंह, लवकुश द्विवेदी, अभय सिंह आदि भी पधारे थे।

प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव हर वर्ष की भांति जैसे ही रामलीला के प्रारम्भ के इस कार्यक्रम में पधारे। भगवान राम का राज्यभिषेके गुरु वशिष्ठ द्वारा शुरू किया गया। शिवपाल ने भी भगवान का राजतिलक कर आशीर्वाद लिया।जुटी भीड़ बराबर राजा रामचन्द्र की जय के नारे लगती रही।

राज्यभिषेक के कार्यक्रम को संबोधित करते भावविह्वल हो गये शिवपाल सिंह ने कहा कि यह सरकार की विफलता है कि हम सात महीने बीत जाने के बावजूद कोरोना से पल्ला नही छुड़ा पाए। जसवंतनगर की रामलीला को हम सब मिस कर रहे। लोग भी दुखी है कि वह राम की लीलाओं से वंचित हो गए हैं।

शिवपाल के संबोधन के बाद राज्यभिषेक मंच के सामने 20 फुट की ऊंचाई पर लगाये गए 4 फुट व्यास के कोरोना रूपी रावण पर भगवान राम और शिवपाल सिंह ने वाण छोड़े। जिन्हें छोड़ते ही कोरोना का पुतला पटाखों की गूंज के साथ धू धू कर जल उठा । राम की जयजयकार और कोरोना का नाश हो, के नारे गूंज उठे।

प्रसपा अध्यक्ष ने कहा कि 166 साल में ये दूसरा मौका है जब इस दुनिया भर मे लोकप्रिय रामलीला का मंचन नही हुआ है एक बार देश मे जब गदर हुआ था तब भी इस रामलीला को रोक गया था और आज कोविड के चलते दूसरी बार ये रामलीला नही हो रही है।

सं प्रदीप

वार्ता

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