फीचर्सPosted at: Feb 19 2017 2:27PM अनपिंग किले, नमक खदान और चीनी मिल में सहेजा ताईवान का इतिहास
ताईनेन . नयी दिल्ली 19 फरवरी (वार्ता) पूर्वी एशिया और चीन सागर के द्वीपीय देश ताईवान में डच और जापान के अौपनिवेशिक शासन के इतिहास को अनपिंग किले, नमक संग्रहालय और चीनी मिल में सहेजते हुए इन्हें विश्व पर्यटन के स्थल के रुप में विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। लगभग 400 किलोमीटर लंबे और 150 किलोमीटर चौड़े देश ताईवान ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिए अपना इतिहास स्वतंत्र रुप से लिखना शुरू किया है। इसके लिए चीन से अलग ताईवान ने ऐसे स्थलों को पहचाना और इन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रखना शुरू किया है जिनका संबंध केवल ताईवान की भूमि है। गौरतलब है कि चीन में साम्यवादी क्रांति के बाद ताईवान में लोकतांत्रिक व्यवस्था का स्वीकार किया अौर अपने आप के स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र घोषित कर दिया। ताईनेन शहर के अनपिंग किले का निर्माण वर्ष 1624 में आरंभ किया और इसे बांस की लकडियों से बनाया गया क्योंकि उस समय पक्की ईटें उपलब्ध नहीं हो पायी थी। हालांकि 1627 में इसकी निर्माण पक्की ईंटों से शुरू किया जो 1633 में पूरा गया। किले का मुख्य इस्तेमाल चीन सागर से होने वाली व्यापारिक आैर सामरिक गतिविधियों पर नजर रखना था। यह आयुध भंडार भी था जिसके कारण यह विदेशी आक्रमणकारियों के निशाने पर रहा। इसी किले में ईस्ट इंडिया कंपनी और डच सरकार के बीच एक संधि की प्रति भी रखी गयी है जिसमें डच कंपनियों ने भारत और ईस्ट इंडिया कंपनी ने चीन के साथ व्यापार के अधिकार छोड दिए थे। अनपिंग किले को तीन मंजिल बनाया गया है और इसकी सुरक्षा के लिए 10 मीटर ऊंची दीवारों के तीन घेरे बनाए गए हैं। लगभग 400 वर्ष के इतिहास में अनपिंग किला मिंग और क्विंग सल्तनत और डच तथा जापानी औपनिवेशिक शासन के आधीन रहा। इससे आयुध भंडार, आवास तथा कार्यालय के रुप इस्तेमाल किया गया। बहरहाल इस किले की कुछ पुरानी दीवारें बची है जिन्हें तकनीक का इस्तेमाल करते हुए पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया गया है। सत्या/टंडन जारी वार्ता