नयी दिल्ली, 20 जुलाई (वार्ता) भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान सरदार सिंह ने कहा है कि भारत के पास अगले साल जापान के टोक्यो में होने वाले खेलों के महाकुम्भ ओलंपिक में पदक जीतने का सुनहरा मौका है।
भारतीय टीम इस समय विश्व रैंकिंग में चौथे नंबर पर है और उसने पिछले करीब दो साल में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। भारत का टोक्यो ओलम्पिक की पुरुष हॉकी प्रतियोगिता में पहला मुकाबला 24 जुलाई को विश्व की आठवें नंबर की टीम न्यूजीलैंड से होगा।
भारत की पुरुष टीम को पूल ए में दूसरे नंबर की टीम ऑस्ट्रेलिया, ओलम्पिक चैंपियन अर्जेंटीना, नौंवें नंबर की टीम स्पेन, आठवें नंबर की टीम न्यूजीलैंड और एशियाई खेलों के चैंपियन तथा मेजबान जापान के साथ रखा गया है। पूल बी में बेल्जियम, हॉलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका को रखा गया है ।
भारत का अगला मुकाबला 25 जुलाई को ऑस्ट्रेलिया से, 27 जुलाई को स्पेन से, 29 जुलाई को अर्जेंटीना से और 30 जुलाई को जापान से होगा। क्वार्टरफाइनल एक अगस्त और सेमीफाइनल तीन अगस्त को होंगे जबकि कांस्य और स्वर्ण पदक मैच पांच अगस्त को होंगे। भारत का पहला लक्ष्य क्वार्टरफाइनल में जगह बनाना होगा। हर ग्रुप से शीर्ष चार टीमें क्वार्टरफाइनल में पहुंचेंगी।
सरदार मानते हैं कि मौजूदा टीम में ओलंपिक पदक जीतने की क्षमता है। पूर्व कप्तान सरदार से पहले भारतीय हॉकी टीम के अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने कहा था कि अगर टीम अपनी लय में खेलेगी तो टोक्यो ओलंपिक खेलों में पदक हासिल कर 40 साल का पदक गतिरोध तोड़ सकती है। भारत ने आखिरी बार ओलंपिक में पदक 1980 के मॉस्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक के रूप में जीता था लेकिन उसके बाद भारत फिर कभी ओलंपिक पोडियम पर नहीं पहुंच पाया।
सरदार ने अपने दस साल के शानदार करियर पर नजर डालते हुए कहा, “पिछले एक दशक के मेरे करियर में मैंने कई शानदार और यादगार मुकाबले खेले। वर्ष 2014 के एशियाई खेलों में टीम की अगुवाई करते हुए स्वर्ण पदक जीतना और सीधे रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना मेरे करियर के यादगार मुकाबलों की सूची में सबसे ऊपर रहेगा।”
उन्होंने कहा, “यह मुकाबला यादगार सिर्फ इसलिए नहीं रहेगा कि हमने 16 साल बाद स्वर्ण जीता और फ़ाइनल में पाकिस्तान को हराया था बल्कि इसलिए क्योंकि इस मुकाबले के बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम की नयी शुरुआत हुयी। वर्ष 2014 टीम के लिए बहुत सारी अच्छी चीजें लेकर आया था और इसके बाद टीम ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।”
सरदार ने कहा, “मेरा करियर इसलिए संतुष्टि भरा रहेगा क्योंकि मैं उस दौर से टीम से जुड़ा हुआ जब टीम का एक तरह से नया जन्म हो रहा था। लंदन ओलंपिक 2012 में हम 12वें और आखिरी स्थान पर रहे थे लेकिन उसके बाद हमने बहुत लम्बा फासला तय किया। जब मैंने 2018 में संन्यास लिया तब हम विश्व रैंकिंग में छठे स्थान पर पहुंच चुके थे। हमारी मौजूदा रैंकिंग नंबर चार है जिससे निश्चित रूप से टीम का आत्मविश्वास बढ़ा है और यह आत्मविश्वास ही टोक्यो ओलंपिक में काम आएगा।”
पूर्व कप्तान ने कहा, “मैंने 314 अंतराष्ट्रीय मुकाबले खेले है लेकिन मुझे ओलंपिक पदक नहीं जीतने का अभी तक मलाल है। टीम ने पिछले कुछ समय में शानदार प्रदर्शन किया है और इस वर्ष एफआईएच प्रो हॉकी लीग में टीम के प्रदर्शन को देखकर लगता है कि हम ओलंपिक पदक जीत लेंगे। मुझे लगता है कि मौजूदा टीम के पास टोक्यो में पदक जीतने का सुनहरा मौका हैं।”
उन्होंने कहा, “अगला वर्ष टीम के लिए बहुत अहम होगा और इस दौरान टीम के पास नए खिलाड़ियों को सिखाने के मौका है। युवा खिलाड़ी जैसे राजकुमार, दिलप्रीत, विवेक सागर और गुरसाहिब ने अच्छा प्रदर्शन किया हैं और टीम के कोच ग्राहम रीड द्वारा इन खिलाड़ियों को बड़े मुकाबलों में परखने का निर्णय बहुत अच्छा रहा है।”
सरदार ने कहा, “अब जब वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण ओलंपिक स्थगित हो गए है तो टीम के पास छोटे लक्ष्य हासिल करने का अच्छा मौका है। मौकों को लपकना अभी भी टीम के लिए सबसे जरुरी पहलू है लेकिन मुझे लगता है कि पिछले दो-तीन वर्षों के मुकाबले टीम अब अच्छी स्थिति में हैं। अगले वर्ष अर्जेंटीना, ब्रिटेन, जर्मनी, स्पेन और न्यूज़ीलैंड के खिलाफ मुकाबले ओलंपिक से पहले हमारी तैयारियों को परखने का अच्छा मौका होगा।”
उन्होंने कहा, “मैं समझ सकता हूं कि कोरोना वायरस के कारण देश में सभी खेलों के खिलाड़ियों के स्थिति काफी चुनौती वाली है लेकिन मैं पुरुष और महिला हॉकी टीम को यही सलाह दूंगा कि अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखे। ओलंपिक में भारत के लिए खेलना सबसे प्रेरणादायक स्रोत है और सभी खिलाड़ियों को टोक्यो ओलंपिक से पहले पूरी तैयारी करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए।”
जतिन राज
वार्ता