भोपाल, 20 जून(वार्ता)मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष एन.पी.प्रजापति ने कहा है कि प्रदेश हित में कार्यपालिका और विधायिका का समन्वय अपरिहार्य है । विधायी समितियां वस्तुत: सदन का लघुरूप और लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली का आधार होती हैं ।
विधानसभा की एक विज्ञप्ति के अनुसार श्री प्रजापति ने विधानसभा में विभाग प्रमुखों एवं समितियों के सभापतियों की संयुक्त बैठक को सम्बोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि विधान सभा की विभिन्न समितियों के परीक्षण कार्यों को प्रखर और प्रभावी बनाया जाना आज प्रासंगिक और आवश्यक है ताकि लोकतांत्रिक प्रणाली सफल और सशक्त बने। विधानसभा अध्यक्ष ने विश्वास जताया कि विधान सभा समितियों को परिणाम मूलक बनाने में विभिन्न विभागों का अपेक्षित सहयोग प्राप्त होगा और कार्यकरण में गति आयेगी।
विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने सर्वप्रथम समितियों के परीक्षण कार्यों को प्रभावी बनाये जाने की महत्ता एवं औचित्य प्रतिपादित किया।
बैठक में मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन एस.आर. मोहंती ने विधायिका और कार्यपालिका के लिए आयोजित समन्वय बैठक की सराहना करते हुए अपेक्षित सहयोग देने का आश्वासन दिया।
बैठक में विधानसभा उपाध्यक्ष सुश्री हिना कावरे, लोकलेखा समिति के सभापति डा. नरोत्तम मिश्र, प्राक्कलन समिति के सभापति सोहनलाल बाल्मीक, स्थानीय निकाय एवं पंचायतीराज लेखा समिति के सभापति बिसाहूलाल सिंह, अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति के सभापति रामलाल मालवीय, आश्वासन समिति के सभापति ग्यारसीलाल रावत, कृषि विकास समिति के सभापति दिलीप सिहं गुर्जर और महिला एवं बाल विकास कल्याण समिति की सभापति श्रीमती झूमा सोलंकी ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये। बैठक में विभिन्न विभागों के अपर मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव उपस्थित थे।
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