जम्मू ,16 मार्च (वार्ता) जम्मू में टाडा (आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि अधिनियम) अदालत ने सोमवार को जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेता यासीन मलिक और अन्य के खिलाफ 1990 में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के चार अधिकारियों की हत्या के खिलाफ आरोप तय किए गए।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जम्मू की टाडा अदालत ने 1990 में आईएएफ के चार अधिकारियों की हत्या के आरोप में जेकेएलएफ नेता यासीन मलिक और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं। कोर्ट ने मामले के सभी दोषियों पर आरपीसी की धारा 302, 307, टाडा एक्ट 1987 और आर्म्स एक्ट 1959 समेत अन्य धाराओं में अलग-अलग आरोप तय करने के आदेश दिए ।
अदालत ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को 30 मार्च तक इस मामले में गवाह प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान मामला पिछले 30 वर्षों से आरोप तय करने के तर्क पर लंबित है।
अदालत ने यासीन मलिक, अली मोहम्मद मीर, मंजूर अहमद सोफी उर्फ मुस्तफा, जावेद अहमद मीर उर्फ नालका, नाना जी उर्फ सलीम, जावेद अहमद जर्गर और शौकत अहमद बक्शी के खिलाफ आरोप तय किये हैं।
स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना की विधवा शालिनी खन्ना उर्फ निर्मल खन्ना ने यूनीवार्ता को साक्षात्कार में बताया कि उसे न्याय मिलना चाहिए और मलिक को फांसी की सजा दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इस बात का अनुमान लगाने के पर्याप्त आधार है कि यासीन मलिक और अन्य सभी आरोपी स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना और वायुसेना के तीन जवानों की हत्या में शामिल थे। इसके पर्याप्त सबूत मिले हैं।
शालिनी ने कहा, “यासीन मलिक ने न केवल मेरे पति की हत्या की अपितु मेरी सास, मेरे ससुर और मेरी मां की हत्या की है। मेरे दो बच्चों ने अपना बचपन खाे दिया। कुछ सेंकंड में मेरी खुशियां मुझसे छिन गयी। इस आतंकवादी ने हमारी दुनिया को उजाड़ दिया।”
अदालत ने सात सितंबर 2019 को यासीन मलिक और अन्य के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
उप्रेती जितेन्द्र
वार्ता