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शिक्षा के बगैर समृद्ध राष्ट्र की कल्पना बेमानी: पवित्रा

शिक्षा के बगैर समृद्ध राष्ट्र की कल्पना बेमानी: पवित्रा

प्रयागराज, 23 जनवरी (वार्ता) अखिल भारतीय किन्नर अखाड़ा अध्यक्ष एवं उज्जैन पीठाधीश्वर पवित्रा का मानना है कि समाज को शिक्षित किये बगैर देश की समृद्धि संभव नहीं है।

त्रिवेणी के माघ मेला स्थित शिविर में पवित्रा ने ‘यूनीवार्ता’ से कहा “ शिक्षा वह शक्तिशाली हथियार है जिससे समृद्ध राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। शिक्षा अपने चारों ओर की चीजों को सीखने की एक प्रक्रिया है। यह हमें किसी भी वस्तु या परिस्थिति को आसानी से समझने,समस्या से निपटने और जीवन भर विभिन्न आयामों में सन्तुलन बनाए रखने में सहायक होती है। ”

उन्होने कहा कि शिक्षा देश के हर नागरिक का पहला और सबसे आवश्यक अधिकार है। बिना शिक्षा जीवन अधूरा रहता है। यह जीवन में लक्ष्य निर्धारित करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। हमारे ज्ञान, कुशलता, आत्मविश्वास और व्यक्तित्व में सुधार के साथ साथ बौद्धिक क्षमता को बढ़ाती है।

नागपुर नर्सिंग कालेज से बीएससी नर्सिंग की डिग्री हासिल करने वाली पवित्रा ने कहा कि उन्होने कई साल तक अस्पताल में नौकरी करने के बाद ‘समर्पण’ नाम से एनजीओ की शुरूआत की जो लेस्बीयान गे बाई सेक्सुअल या ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी)समुदाय के कल्याण के लिए महाराष्ट्र के नागपुर, अमरावती,चन्द्रपुर आदि जिलों में काम कर रही हैं।

      पवित्रा ने कहा कि उचित शिक्षा के बारे में बहुतेरे जागरूकता अभियानों के बावजूद देश में अभी भी ऐसे कई गाँव हैं जहाँ रहने वाले लोगों के पास न तो शिक्षा प्राप्ति का कोई उचित संसाधन है और न/न ही इसके लिए कोई विशेष जागरुकता है। उचित शैक्षणिक स्तर देश में समस्यात्मक मुद्दों को सुधार कर आर्थिक और सामाजिक समृद्धि ला सकता है।

         धर्मगुरू ने कहा कि वह एक समृद्ध किसान परिवार में नौ भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। जन्म होने पर परिवार ने उनका नाम ज्ञानेश्वर रखा था। परिवार को उनके बारे में जानकारी मिलने पर उनका परित्याग कर दिया। वह अवसाद (डिप्रेसन) की शिकार हो गयी। कई बार उन्होने आत्महत्या करने का भी प्रयास किया लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। परिवार से परित्याग के बाद भी उनका मोह बरकरार है।

        उन्होने बताया कि जब वह अपने जीवन के सबसे कष्टकारी दौर से गुजर रही थीं तब उनको राह दिखाने वाली नामचीन ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट किन्नर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ही थी। इनके जीवन में गुरू लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का स्थान सर्वोच्च है। वह भी कई भाषाओं की परम ज्ञाता है। इनके सफल प्रयास के बाद उच्चतम न्यायालय ने केंद्र एवं राज्यों को निर्देश देते हुए कहा कि ट्रांसजेंडर सामाजिक रूप से पिछड़ा समुदाय हैं, इनको शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं मुहैया कराने के लिए आरक्षण दिया जाना चाहिए।

        एक सवाल के जवाब में उन्होने बताया कि जब उच्चतम न्यायालय ने थर्ड जेंडर को मान्यता दे दी है तो समाज को स्वीकार करना पडेगा। उन्होने कहा कि किसी इंसान को उसके धर्म, जाति, समुदाय या लिंग के तौर पर देखने-परखने से पहले उसे एक इंसान के तौर पर देखना होगा।

        उन्होने बताया कि तीर्थराज प्रयाग में कुंभ के अवसर पर गुरू लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के नेतृत्व में किन्नर संन्यासियों को जूना अखाड़ा ने ससम्मान अपने साथ लेकर चलने का निर्णय लिया। यहां की जनता ने जो प्यार और सम्मान

दिया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

दिनेश प्रदीप

वार्ता

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