नयी दिल्ली, 23 मई (वार्ता) पांच बार के विश्व चैंपियन भारत के स्टार शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद का कहना है कि शतरंज में आप बोर्ड को नहीं खिलाड़ी को हराते हैं।
सुपर ग्रैंड मास्टर आनंद कोरोना के कारण जर्मनी में अटक गए हैं। आनंद ने हाल ही में जर्मनी में बुंदेसलीगा शतरंज टूर्नामेंट में भाग लिया था। उन्होंने कोरोना के कारण प्रधानमंत्री केयर फंड में मदद देने के उद्देश्य से ऑनलाइन शतरंज प्रदर्शनी मैच में भी हिस्सा लिया था।
शतरंज में मानसिक कौशल के महत्व पर एमफोर के स्टार स्पोटर्स-1 के तमिल शो माइंड मास्टर्स में आनंद ने कहा, “शतरंज में आपको बोर्ड को नहीं हराते हैं बल्कि दूसरे छोर पर मौजूद खिलाड़ी को हराना ज्यादा जरुरी है। सभी सोचते हैं कि आप बेहतर चाल चलें लेकिन यह देखना जरुरी है कि बोर्ड पर आखिरी बार गलती किसने की है।”
पांच बार के विश्व चैंपियन ने कहा, “आपको लगातार अपने विपक्षी खिलाड़ी के दिमाग को समझने और स्वयं के साथ उनके खेल का अध्ययन करने की आवश्यकता होती है। मैं गेम के बाद जिम जाता हूं लेकिन फिटनेस के लिए नहीं बल्कि अपने को शांत करने के लिए, जिससे मेरा तनाव कम होता है।”
अपने जीवन के दो सबसे महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों पर आनंद ने कहा, “1987 में विश्व जूनियर का पहला मुकाबला जीतना मेरे लिए कभी नहीं भूलने वाला पल है और रुस के खिलाड़ियों के खिलाफ जीतना मेरे लिए गर्व का पल था। अपने करियर में जब मैं संन्यास लेने पर विचार कर रहा था ऐसे में 2017 में विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप जीतने से मुझे संतुष्टि मिली।”
बहुत कम उम्र में अपना करियर शुरु करने पर उन्होंने कहा, “मैं छह साल का था जब मेरे बड़े भाई-बहन को मैंने शतरंज खेलते देखा और मैं अपनी मां के पास गया और उनसे मुझे यह खेल सिखाने के लिए कहा। मेरा शतरंज खिलाड़ी के तौर पर उभरना अचानक से नहीं हुआ। इसमें कई वर्षों की मेहनत लगी है।”
आनंद ने कहा, “शतरंज का जो खेल हमने 80 के दशक में सीखा था वो अब पहले की तरह नहीं रहा। जिस तरह आप इसे सीखते हैं, कंप्यूटर ने इसका दृष्टिकोण ही बदल दिया है। बस बोर्ड पर मौजूद दो खिलाड़ी नहीं बदले हैं।”
शोभित राज
वार्ता