जबलपुर, 07 जनवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) द्वारा की गई असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति मामले में निशक्तजनों के लिए किए गए आरक्षण में त्रुटियों के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने यथास्थिति के निर्देश देते हुए सरकार से जवाब मांगा है।
आयोग ने करीब 195 पदों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाले मामले पर ये निर्देश जारी किए हैं। दायर मामले में आरोप हैं कि निशक्तजनों के लिये किये गये आरक्षण में त्रुटि है और इस श्रेणी के लिये आरक्षण दोगुना कर दिया गया, जो कि नियमों के खिलाफ है। कई उम्मीदवार नियुक्तियों से वंचित हो रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश एसके सेठ व न्यायमूर्ति वी के शुक्ला की युगलपीठ ने अाज सुनवाई के दौरान पाया कि पहले के नोटिस के बावजूद भी अब तक जवाब नहीं आया, जिस पर न्यायालय ने यथास्थिति के निर्देश देते हुए सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।
हाईकोर्ट में सीहोर निवासी घनश्याम चौकसे सहित एक सैकड़ा से अधिक लोगों की ओर से 11 याचिकाएं दायर की गई हैं। घनश्याम चौकसे की ओर से दायर मामले में कहा गया है कि शासन ने अलग-अलग विषयों के असिस्टेंट प्रोफेसरों के 195 पदों के लिये नियुक्तियां निकाली है। उसने समाजशास्त्र विषय से अन्य पिछड़ा वर्ग से आवेदन किया था। आवेदकों का कहना है कि शासन ने नियुक्ति प्रकिया में छह फीसदी आरक्षण निशक्तजनों के लिये किये जाने का प्रावधान रखा था, जो कि कुल पदों पर 12 फीसदी हो गया। ओबीसी श्रेणी में ये आरक्षण 18 फीसदी हो गया, जिससे वह नियुक्ति पाने से वंचित हो रहे है।
मामले में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग व पीएससी को पक्षकार बनाया गया है। सुनवाई के बाद न्यायालय ने मामले में यथास्थिति के निर्देश देते हुए सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 29 जनवरी को निर्धारित की है।
सं गरिमा
वार्ता