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प्रयागराज में कड़कती ठंड और बूंदाबांदी पर आस्था भारी

प्रयागराज में कड़कती ठंड और बूंदाबांदी पर आस्था भारी

कुंभनगर,15 जनवरी (वार्ता) दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम माघ मेले का दूसरा “मकर संक्रांति” स्नान पर्व तड़के बूंदाबांदी के बीच शुरू हुआ।

मेला प्रशासन ने मकर संक्रांति पर करीब 80 लाख श्रद्धालुओं के स्नान करने की संभावना व्यक्त की है। ग्यारह बजे तक 50 लाख श्रद्धालुओं ने पुण्य की कामना से त्रिवेणी के संगम में आस्था की डुबकी लगाई। संगम तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है । मकरसंक्रांति के अवसर पर संगम तट दूधिया रोशनी से नहाया हुआ है। कड़ाके की ठंड़ पर श्रद्धालुओं की आस्था भारी पड़ रही है।

श्रद्धालुओं ने तड़के चार बजे बूंदाबांदी के बीच मकर संक्रांति मुहूर्त में स्नान करना शुरू किया। जबकि कुछ साधु, महात्मा और श्रद्धालु उससे पहले ही गंगा में आस्था की डुबकी लगा चुके थे। मंगलवार की शाम तक लाखाों श्रद्धालुओं एवं कल्पवासियों का जनसैलाब संगम की पवित्र रेती पर उमड पड़ा। आठ किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला 12 स्नान घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं। मेला क्षेत्र में 13 थाने और 38 पुलिा चौकियां बनायी गयी हैं। मेला क्षेत्र में 25 हजार शौचालय बनाए गये हैं।

संगम किनारे रेती पर आस्था, भक्ति और आध्यात्म का अद्भुत संसार बस चुका है। लघु भारत को अपने में समेटे संगम क्षेत्र में आध्यात्म की बयार बह रही है। पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिल स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के विस्तीर्ण रेती पर एक बार फिर श्रद्धालुओं की आस्था के समंदर को संगम अपनी बाहों में भरने को आतुर दिखा।

रिवेणी के तट पर एक बार फिर दिव्य और भव्य कुम्भ जैसा नजारा दिखाई दे रहा है। संक्रांति की प्रतीक्षा अंत:करण को शुद्ध करने के विविध मंत्रों से तट गुंजायमान हो रहे हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर संगम में स्नान-दान, पूजा-पाठ का काफी महत्व होता है। श्रद्धालु स्नान करने के बाद घाट पर बैठे पंडो को चावल, मूंग दाल, नमक, हल्दी का दान कर रहे है। कुछ श्रद्धालु तो कपड़े भी गरीबों में बांटते दिखे।

संगम तट पर स्नान करने के बाद पूजा और आराधना में श्रद्धालु लीन है। कोई संगम में दूध चढ़ा रहा है तो कोई स्नान कर तट पर दीपदान आरती कर रहा है । तीर्थ पुराेहित भीड़ में यजमानों को सुख-समृद्धि और परिवार के मंगल कामना के लिए संकल्प करवाते नजर आये। तीर्थ पुरोहितों को अपने यजमानों से कई जगह मोल-भाव भी करते देखा जा रहा है। कोई यजमान 10-20 रूपया देकर संकल्प कराना चाहता है तो तीर्थपुरोहित तमाम मान-मानौवल के बाद एक दिन के भोजन 250 रूपये पर तैयार होता है।

दिनेश विनोद

वार्ता

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