राज्य » अन्य राज्यPosted at: Jul 23 2019 9:07PM उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर याचिका दायर, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
नैनीताल 23 जुलाई, (वार्ता) उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर मंगलवार को उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की गयी। न्यायालय ने इस मामले में सरकार से तीन दिन के अंदर मामले में स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है।
इस मामले की सुनवाई आज मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में हुई। राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी ने बताया कि अदालत ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और याचिकाकर्ता से कहा कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार अदालत के हाथ में नहीं है। चुनाव आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट ने कहा कि हालांकि अदालत ने मामले को सुनने के बाद सरकार से तीन सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने को जरूर कह दिया।
इस मामले को याचिकाकर्ता नईम अहमद ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। याचिका में प्रदेश में पंचायत चुनाव न कराये जाने और पंचायतों को प्रशासकों के हवाले करने को संवैधानिक संकट बताया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर पा रही है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से धारा 356 के तहत प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गयी है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि प्रदेश में पंचायतों का कार्यकाल इसी महीने 15 जुलाई को खत्म हो गया है। सरकार पंचायतों के चुनाव कराने में असफल रही है। चुनाव कराने के बजाय सरकार ने 06 जुलाई को एक आदेश जारी कर प्रदेश की पंचायतों को प्रशासकों के हवाले कर दिया। इसके बाद पंचायतों पर प्रशासकों का कब्जा हो गया है। सरकार की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता