राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jul 20 2020 9:06PM संक्रमण और मौतों की बढ़ती संख्या चिन्ताजनक: अखिलेश
लखनऊ, 20 जुलाई (वार्ता)समाजवादी पार्टी(सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वैश्विक महामारी कोविड 19 के संक्रमण और मौतों की बढ़ती संख्या पर चिन्ताजनक व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सरकार भ्रमित और दिशाहीनता हो गयी है।
श्री यादव ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि कोरोना का संकट घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। दो दिन के लाॅकडाउन का भी कोई खास असर नहीं दिखाई दे रहा है। सरकार भ्रमित और दिशाहीन है। उन्होंने कहा कि संक्रमण और मौतों की बढ़ती संख्या चिन्ताजनक है। अस्पतालों में कोविड-19, मरीजों को भर्ती में तमाम दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। राजधानी लखनऊ में भी कोरोना महामारी रोके नहीं रूक रही है। मुख्यमंत्री रोज नए-नए तथाकथित आदेश देते रहते हैं। अस्पतालों में बदइंतजामी की खब़रें फिर भी नहीं रूकती हैं।
उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था हो या कोरोना महामारी स्थितियां सरकार के नियंत्रण में नहीं रह गईं हैं। प्रशासनिक मशीनरी अंधेरे में हाथ पांव मार रही है। जनहित की योजनाएं तथा विकासकार्य ठप्प पड़े हैं। मुख्यमंत्री के आश्वसनों के अम्बार लग गए हैं लेकिन उन पर अमल से सभी बच रहे हैं। जनता बुरी तरह परेशान है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश में बाढ़ और कोरोना संक्रमण की बढ़त से हालत गम्भीर हैं। विभिन्न जिलों में भारी वर्षा से जनजीवन अस्तव्यस्त है। कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बहने लगी जिससे गांवों में कटान शुरू हो गई है। जलभराव के कारण सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। कई जगह लोग गांवों में अपने मकानों की छतों पर बैठे हुए हैं। उन्हें कोई राहत भी नहीं पहुंच पाई है।
उन्हाेंने कहा कि कानून व्यवस्था की स्थिति तो भाजपा सरकार में शुरू से ही बिगड़ी रही है। आए दिन हत्या, लूटपाट, बलात्कार और अपहरण की घटनाएं होती रहती हैं। महिलाओं और बच्चियों का जीवन असुरक्षित है। दबंगों के आगे पुलिस तंत्र भी असहाय नज़र आता है। अभी लोकभवन के सामने मां-बेटी ने खुद को आग के हवाले कर दिया। क्योंकि उनके जिले में उनकी शिकायतों पर कोई कार्रवाइ्र नहीं हुई थी।
श्री यादव ने कहा कि भाजपा राज में पत्रकार भी पुलिस दुव्र्यवहार के शिकार बनाए जा रहे हैं। उनके कर्तव्य पालन को भी पुलिस अपराध मानती है। यह लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संविधान में दिए गए अधिकार पर आघात है। देश के चौथे स्तम्भ को कमजोर करने का कोई भी कुत्सित प्रयास अस्वीकार्य होगा।
भंडारी
वार्ता