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सामरिक साझीदारी स्थापित करेंगे भारत मिस्र

सामरिक साझीदारी स्थापित करेंगे भारत मिस्र

नयी दिल्ली 25 जनवरी (वार्ता) भारत एवं मिस्र ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को सामरिक साझीदारी में बदलने तथा सांस्कृति एवं सभ्यतागत आदान प्रदान को बढ़ाने के साथ साथ साइबर सुरक्षा, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी, युवा मामले एवं प्रसारण के क्षेत्र में सहयोग काे मज़बूत बनाने का आज संकल्प लिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्तेह एल सिसी के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय बैठक में ये संकल्प लिये गये। इस दौरान दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ की स्मृति में विशेष रूप से प्रकाशित डाक टिकटों का भी आदान प्रदान किया गया।

बैठक में दोनों देशों के बीच पांच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करके आदान प्रदान किया जिनमें साइबर सुरक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, सांस्कृतिक आदान प्रदान, युवा मामलों में आदान प्रदान, प्रसारण के क्षेत्र में परस्पर सहयाेग में वृद्धि के प्रस्ताव शामिल हैं।

बैठक के बाद श्री मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में मिस्र के राष्ट्रपति श्री एल-सिसी और उनके प्रतिनिधिमंडल का भारत में स्वागत करते हुए कहा, “कल हमारे गणतंत्र दिवस समारोह में मिस्र के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। ये पूरे भारत के लिए सम्मान और हर्ष का विषय है। यह खुशी की बात है कि मिस्र की सेना की एक टुकड़ी परेड में भाग ले रही है।”

उन्होंने कहा कि भारत और मिस्र विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से हैं। हमारे बीच कई हज़ारों वर्षों का अनवरत नाता रहा है। चार हजार वर्षों से भी पहले, गुजरात के लोथल बंदरगाह के माध्यम से मिस्र के साथ व्यापार होता था और विश्व में विभिन्न परिवर्तन के बावजूद हमारे संबंधों में स्थिरता रही है। इस वर्ष भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान मिस्र को अतिथि देश के रूप आमंत्रित किया है, जो हमारी विशेष मित्रता को दर्शाता है।

श्री मोदी ने कहा कि हमने आज की बैठक में अपने रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को और मज़बूत करने, और आतंकवाद निरोधक अभियान संबंधी सूचनाओं एवं सुरागों का आदान-प्रदान बढ़ाने का भी निर्णय लिया है। भारत और मिस्र आतंकवाद को लेकर चिंतित हैं। दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि सीमा पार आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और इसके लिए हम साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सचेत करने का प्रयास करते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान हमने दोनों देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए मिल कर काम किया है। हमारे बीच संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण गतिविधियों में वृद्धि हुई है। हम साइबर जगत में उग्रवाद एवं कट्टरपन के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए सहयोग कर रहे हैं। हमने कोविड काल एवं बाद में यूक्रेन संकट के कारण बाधित फार्मा चेन एवं आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के बारे में भी चर्चा की है।

श्री मोदी ने कहा, “दोनों देशों के बीच सामरिक समन्वय पूरे क्षेत्र में शांति और समृद्धि के क्षेत्र में मददगार होगा। इसलिए आज की बैठक में राष्ट्रपति सिसी और मैंने हमारे द्विपक्षीय संबंधों को सामरिक साझीदारी के स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया है। हम भारत-मिस्र सामरिक साझीदारी के तहत हम राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक एवं वैज्ञानिक क्षेत्रों में और अधिक व्यापक सहयोग का दीर्घकालिक ढांचा विकसित करेंगे।”

उन्होंने कहा कि हमने मिलकर तय किया कि अगले 5 वर्षों में अपने देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 12 अरब डॉलर तक ले जाएंगे।

इस मौके पर मिस्र के राष्ट्रपति श्री एल-सिसी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हम विभिन्न क्षेत्रों में मौजूदा सहयोग को बढ़ावा देने और नए क्षेत्रों में साझीदारी को बढ़ावा देने पर सहमत हुए हैं। हम अपने क्षेत्रों, मुख्य रूप से निवेश, उच्च शिक्षा, रसायन, दवा उद्योग आदि में सहयोग को मजबूत कराने पर हम सहमत हुए हैं। दिल्ली एवं काहिरा के बीच विमान सेवाओं में विस्तार किया जाना चाहिए ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।

उन्होंने कहा, “हमने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के बारे में बात की और जलवायु परिवर्तन पर पक्षकारों की 27वीं बैठक (सीओपी-27) पर चर्चा की। हमने मिस्र और भारत के बीच सुरक्षा सहयोग पर भी चर्चा की। मैंने आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए मिस्र को अतिथि देश के रूप में आमंत्रित करने के लिए श्री मोदी को धन्यवाद किया।”

उन्होंने श्री मोदी से अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए कहा, “मैं 2015 में न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री मोदी से मिला था और मुझे उन पर पूरा भरोसा था। मुझे पता था कि वह अपने देश को आगे ले जाएगा। मैंने हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को काहिरा में आमंत्रित किया है।”

सचिन

वार्ता

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