नयी दिल्ली, 02 जुलाई (वार्ता) चीन का मानना है कि अमेरिका के साथ उसका व्यापार युद्ध के पीछे तकनीकी या वाणिज्यिक कारण नहीं बल्कि राजनीतिक मंशाएं हैं और वह नियम आधारित विश्व व्यवस्था के लिए भारत की ओर से मजबूत आवाज़ की अपेक्षा करता है।
भारत की यात्रा पर आये चीन के एक उच्चस्तरीय कूटनीतिक प्रतिनिधिमंडल ने विदेश मामलों के भारतीय संवाददाताओं के संघ (आईएएफएसी) के साथ एक संवाद कार्यक्रम में ये विचार व्यक्त किये। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वरिष्ठ राजनयिक एवं चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय समिति में विदेश मामलों की समिति की सदस्य सुश्री यांग यान्यी तथा नान्जिंग विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रोफेसर झू फेंग ने किया। उनके साथ चीन के विदेश मंत्रालय में एशियाई मामलों के विभाग में उपनिदेशक लुओ यी, चीनी विदेश मंत्रालय के पॉलिसी प्लानिंग विभाग में सेकेंड सेक्रेटरी चेन शिआओली तथा चीनी दूतावास में काउंसलर प्रेस जी रोंग और निदेशक प्रेस सुन यिलियांग भी उपस्थित थे।
कूटनीतिक मसलों की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के साथ वर्तमान परिदृश्य पर चर्चा करते हुए राजदूत सुश्री यान्यी ने कहा कि चीन ने बीते वर्षों में आर्थिक वाणिज्यिक एवं तकनीकी क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है और अमेरिका भी चीन की इस तरक्की से लाभान्वित हुआ है। चीन के पास विनिर्माण एवं तकनीकी गुणवत्ता तो है लेकिन ब्रांड, डिज़ाइन एवं मार्केटिंग अमेरिकियों का वर्चस्व है। इसलिए अमेरिका ने इसका खूब फायदा उठाया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तरक्की तथा चीनी श्रमिकों के कठोर परिश्रम ने गुणवत्ता के चीनी उच्च मानक स्थापित किये हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका की घरेलू परिस्थितियां ऐसी हो गयी है कि जो बहुत अमीर लोग हैं, वे येन केन प्रकारेण और ज्यादा दौलत कमाने में लग गये हैं। इसके लिए वे चीन एवं दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचाने में लगे हैं। अमेरिकी आयात शुल्कों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने चुनौती उत्पन्न हो गयी है। अमेरिका का वर्तमान प्रशासन शॉर्टकट का रास्ता अपना रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान संकट का कारण अमेरिका के अंदर ही है और समाधान भी वहीं से ही आना है।
उन्होंने कहा कि चीन संयुक्त राष्ट्र आधारित विश्व व्यवस्था और नियम आधारित बहुपक्षीय आदान प्रदान में यकीन करता है। अमेरिका एवं चीन के बीच समाधान केवल और केवल सहयोग से ही निकल सकता है। उन्होंने इस संकट के समाधान में भारत की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भारत हमेशा से बहुपक्षवाद में यकीन रखता है और वह खुद के लिए नहीं बल्कि न्याय के पक्ष में आवाज उठाता रहा है। रूस चीन भारत (आरआईसी), ब्रिक्स, जी-20 आदि अनेक मंचों पर भारत ने न्याय के पक्ष में आवाज़ बुलंद की है। इसलिए चीन को भारत से बहुत अपेक्षा है।
जापान के ओसाका में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बैठक के बारे में सुश्री यान्यी ने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण बैठक थी जिसमें दोनों देशों के बीच सहयोग को स्थायी भाव बनाने की सहमति बनी और दोनों नेताओं ने परस्पर सम्मानजनक एवं बराबरी के सिद्धांत पर व्यापार संकट के समाधान के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करने पर सहमति व्यक्त की।
सचिन आशा
जारी वार्ता