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भारत ने रचा इतिहास, चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण सफल

भारत ने रचा इतिहास, चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण सफल

श्रीहरिकोटा, 22 जुलाई (वार्ता) देश ने चंद्रमा के लिए अपने दूसरे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को सोमवार को पृथ्वी की निर्धारित कक्षा में स्थापित कर इतिहास रच दिया। चंद्रयान-2 को देश के सबसे वजनी 43.43 मीटर लंबे जीएसएलवी-एमके3-एम1 रॉकेट से भेजा गया जिसने प्रक्षेपण के 16 मिनट में इसे पृथ्वी की पार्किंग कक्षा में पहुंचा दिया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की एक विज्ञप्ति के अनुसार चंद्रयान-2 इस समय पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा है और इस दौरान पृथ्वी से इसकी न्यूनतम दूरी 169.7 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 45475 किलोमीटर है।

देश के करोड़ों लोगों के सपनों के साथ 3850 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 ने जीएसएलवी-एमके3-एम1 के माध्यम से अपराह्न 1443 बजे शानदार उड़ान भरी। इसके प्रक्षेपण के लिए उलटी गिनती 20 घंटे पहले रविवार शाम 1843 बजे शुरू हुई थी। जीएसएलवी-एमके3-एम1 की यह पहली उड़ान थी।

चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) प्रक्षेपण के 16 मिनट बाद प्रक्षेपण यान से अलग हो गया और पृथ्वी की 170.06 x 40400 किलोमीटर की पार्किंग कक्षा में प्रवेश कर गया। इसके बाद उसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए अपनी 30844 लाख किलोमीटर की 48 दिन की यात्रा शुरू कर दी।

इसरो के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के बाद मिशन कंट्रोल सेंटर से वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए इस चुनौतीपूर्ण मिशन में शामिल पूरी टीम को बधाई दी और उन्हें सैल्यूट किया। उन्होंने कहा कि यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की भारत की ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत है।

डॉ. सिवन ने कहा, “आज का दिन भारत में अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए ऐतिहासिक दिन है। मुझे यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि जीएसएलवी-एमके3-एम1 ने चंद्रयान-2 को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया है। वास्तव में यह भारत की चांद और उसके दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की ओर ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत है जो वैज्ञानिक प्रयोगों और खोजों के लिए की जा रही है।”

उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 में एक गंभीर तकनीकी खराबी के कारण 15 जुलाई को इसका प्रक्षेपण टाल दिया था। हमने उस खराबी को दुरुस्त कर लिया और टीम इसरो ने पूरे उत्साह के साथ चंद्रयान के प्रक्षेपण को अंजाम तक पहुंचाया।

डॉ. सिवन ने कहा, “खराबी का पता चलते ही इसरो की पूरी टीम हरकत में आ गयी। इस केंद्र में अगले 24 घंटों के दौरान शानदार काम किया गया। टीम ने गड़बड़ के मूल कारणों का पता लगा लिया और उसे ठीक भी कर लिया। सब कुछ 24 घंटों के भीतर हो गया।”

उन्होंने बताया कि अगले डेढ़ दिन में सभी तरह के परीक्षण किये गये और अन्य तैयारियां की गयीं। यह प्रक्षेपण इसरो की मेहनती टीम के कारण संभव हो पाया है। इसरो के विशेषज्ञ प्रक्षेपण टलने के बाद से पिछले सात दिन से लगातार काम कर रहे थे।

यामिनी.श्रवण

जारी वार्ता

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