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पेयजल गुणवत्ता में भारत विश्व में 120वें पायदान पर

पेयजल गुणवत्ता में भारत विश्व में 120वें पायदान पर

सिरसा, 04 फरवरी (वार्ता) पेयजल गुणवत्ता में भारत विश्व में 120वें पायदान पर है।

यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक प्रो. डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने आज चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के रसायन विभाग में शैक्षणिक ऑडिट से संबंधित कार्यक्रम में भाग लेते हुए दी। उन्होंने ने देश की सर्वाधिक दरपेश आने वाली चुनौतियों में प्रमुख जलदोहन को देश के लिए सर्वाधिक गंभीर बताया।

डॉ. ढींडसा ने कहा कि हाल ही में भारत सरकार के नीति आयोग की ओर से प्रस्तुत की गई रिपोर्ट समस्त देशवासियों के रौंगटे खड़े करने वाली है जिसमें कहा गया है कि पानी की गुणवत्ता के सिलसिले में विश्व के चयनित किए गए 122 देशों में से भारत 120वें पायदान पर खड़ा है जो अति गंभीर स्थिति है।

उन्होंने कहा कि इससे भी अधिक खतरनाक स्थिति यह है कि रपट के मुताबिक करीब 60 करोड़ लोगों को देश में पीने व दिनचर्या से संबंधित अन्य कार्यों के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता।

उन्होंने कहा कि देश के 75 फीसदी घरों में अभी भी पेयजल आपूर्ति नहीं है। गांवों व शहरों की निर्धन बस्तियों में महिलाओं को आज भी सिर पर घड़ों से पानी लाते देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि शुद्ध वायु, शुद्ध जल हर नागरिक का स्वाभाविक अधिकार है और इसे मुहैया कराना सरकारों का दायित्व है। उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि वर्ष 2020 तक दिल्ली में भूमिगत जल लगभग रिक्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में प्रतिवर्ष 2 लाख लोग शुद्ध पेयजल न मिलने से मौत के ग्रास बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि या तो इस भयावह स्थिति को गंभीरता को समझा नहीं जा रहा अथवा स्वयं बंद बोतलों का पानी पीने वाले मंत्री, सरकारी अधिकारी व राजनीतिक वर्ग साधारण नागरिक के लिए संवेदनशील नहीं हैं। उन्होंने बताया कि कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स के आधार पर हरियाणा, यूपी व बिहार की स्थिति अत्यंत गंभीर है। उन्होंने बताया कि 76 अंकों के आधार पर गुजरात पानी प्रबंधन में अव्वल है जबकि 35 अंकों के साथ झारखंड सबसे अंतिम पायदान पर है। हरियाणा, यूपी व बिहार 38 अंकों के साथ जल कुप्रबंधन के दुखदायी उदाहरण हैं।

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक ने कहा कि जल कुप्रबंधन का प्रभाव परोक्ष रूप से खाद्यान्न सुरक्षा एवं आमजन के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस भयावह स्थिति से उभरने के लिए यह जरूरी है कि देश में जल संरक्षण व जल प्रबंधन संबंधी आंदोलन आरंभ हो जिसमें प्रत्येक नागरिक का योगदान हो।

प्रो़ ढींडसा राष्ट्रीय स्तर पर देश के अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों में देश की प्रमुख चुनौतियों को उजागर करने व उनसे निपटने के उपाय सुझाने वाले व्याख्याता हैं और उनके व्यापक अनुभव का लाभ देश की सरकारें अभी भी ले रही हैं।

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