कोलकाता, 26 सितंबर (वार्ता) वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व विदेश मंत्री मणिशंकर अय्यर ने कहा है कि भारत को काबुल में दूतावास फिर से खोलकर और पाकिस्तान में उच्चायुक्त भेजकर अफगानिस्तान के साथ संवाद करने की जरूरत है।
उनका कहना है कि काबुल का रास्ता पाकिस्तान से होकर जाता है और इसलिए भारत को अफगानिस्तान के लोगों से बात करनी चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को कश्मीर के मुकाबले अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद के बारे में आशंकित होने की जरूरत है, श्री मणिशंकर अय्यर ने कहा, “मुझे लगता है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे पास यह जानने का कोई स्रोत नहीं है कि अफगानिस्तान में क्या हो रहा है और इसके बारे में राजनयिक जानकारी का कोई स्रोत नहीं है। हम यह भी नहीं जान पा रहे है कि वहां किन मसलों पर विचार व्यक्त किए जा रहे हैं और हमें किस पर ध्यान देना चाहिए और किसकी उपेक्षा करनी चाहिए। हमें इस संवाद प्रकिया से जुड़ना होगा और यही कूटनीति है। इसलिए मुझे लगता है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे पास इस्लामाबाद में प्रतिनिधित्व का स्तर बहुत कम है और काबुल में हमारा कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है।”
जब उनसे यह पूछा गया कि भारत में एक राजनेता के लिए शिक्षित होना कितना महत्वपूर्ण है तो श्री अय्यर ने कहा, “भारत की वास्तविकता को देखते हुए यहां शिक्षित होना सबसे महत्वपूर्ण है। यदि आपके पास मेरी तरह की शिक्षा है जो मुझे 'मैकाले की शिक्षा प्रणाली से जोड़ती है, तो मुझे नहीं लगता कि शिक्षा बहुत उपयोगी है। इसलिए एक अच्छा राजनेता बनने के लिए भारत की वास्तविकता और आपकी शिक्षा के बीच एक संबंध होना चाहिए।”
भारतीय राजनीति किस दिशा में जा रही है, के बारे में पूछे गए सवाल पर श्री अय्यर ने कहा, "दुर्भाग्य से, संसद चर्चा का मंच न होकर प्रदर्शन के मंच में तब्दील हो रहा है। और जब तक एक सार्थक बहस के स्थान पर इस तरह के व्यवधान हमारे लोकतंत्र की विशेषता बने रहेंगे तो मुझे लगता है कि हम बहुत गलत दिशा में जा रहे हैं।"
श्री अय्यर ने कहा नयी पीढ़ी की राजनीति में बहुत कम दिलचस्पी लेने के बारे में जवाब देते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि किसी भी देश में महत्वाकांक्षी राजनेताओं के लिए बहुत अधिक जगह है।
उन्होंने आगे कहा कि श्री मोदी के 2024 के चुनाव हारने की संभावना का मसला बहस का विषय है लेकिन इस बार निश्चित रूप से निर्णायक कारक विकास के मुद्दे नहीं, बल्कि धार्मिक मुद्दे होंगे और यह भाजपा का पाखंड है। हमें इस बात का सामना करना होगा कि देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती हमारी धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखना है।
भारतीय राजनीति अब 'फूट डालो राज करो' पर भरोसा कर रही है,संबंधी सवाल का जवाब देते हुए श्री अय्यर ने कहा , “यह उन दलों की राजनीति नहीं है जो विपक्ष में हैं, यह सत्ता में बैठे लोगों की राजनीति है। इसलिए मैं इससे सहमत हूं कि इसका देश की आधी आबादी से संबंध है लेकिन मैं दूसरी आधी देश के संबंध में इससे सहमत नहीं हूं।”
भवानीपुर विधानसभा से उपचुनाव लड़ रही ममता बनर्जी के साथ अपनी मुलाकात पर, श्री अय्यर ने स्पष्ट किया कि वह उनसे नहीं मिले थे, लेकिन वह तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य हैं। उन्होंने कहा “ मैं केवल तीन सप्ताह के लिए पार्टी में रहा क्योंकि मैं उस बंगाली भाषा को नहीं समझ सका जिसमें वह और उसके सहयोगी बोलेंगे। इसके बाद मैंने कहा, मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ और मैंने बाद में एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन मैं हार गया था और वाकई वह बहुत कठिन दौर था। ”
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे और व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ मुलाकात करने, लेकिन बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को रोम विश्व शांति सम्मेलन में भाग लेने की अनुमति नहीं देने के दोहरे मानकों के बारे में, श्री अय्यर ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा “ एक मुख्यमंत्री को पूरी तरह से वैध उद्देश्य के लिए विदेश जाने के अवसर से क्यों वंचित किया जाना चाहिए। श्री मोदी जहां जाना चाहें जा सकते हैं और जो उनका स्वागत करना चाहते हैं ,वे उनका स्वागत करें, लेकिन ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होनी चाहिए जिसमें एक मुख्यमंत्री का अपमान हो क्योंकि ममता बनर्जी का अपमान किया जा रहा है।”
गौरतलब है कि श्री अय्यर पाकिस्तान के कराची में पहले भारतीय महावाणिज्य दूत थे और उन्होंने भारत आने के लिए तीन लाख पाकिस्तानी लोगों को वीजा जारी किए थे।
जितेन्द्र
वार्ता