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भारत


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मुख्यमंत्री ने कहा कि आज गणतंत्र दिवस है। पवित्र दिन है। आज के दिन हमें सभी स्वतंत्रता सेनानियों की याद आती है। जिन लोगों ने देश के लिए कुर्बानियां दीं, आज के दिन उन सब लोगों को हम याद करते हैं। किसी भी स्वतंत्रता सेनानी के योगदान और उसके शौर्य को कम नहीं आंका जा सकता है। हर एक ने अपने-अपने स्तर पर खूब कुर्बानियां दीं, खूब संघर्ष किया। लेकिन दो स्वतंत्रता सेनानी ऐसे हैं, जिनसे मैं सबसे ज्यादा प्रभावित हूं। मैं समझता हूं कि वे बाकी सब में एक हीरे की तरह चमकते हैं। एक बाबा साहब डॉ. अंबेडकर हैं और दूसरे शहीद-ए- आजम भगत सिंह हैं। दोनों के रास्ते अलग थे, लेकिन दोनों की मंजिल और सपने एक थे। बाबा साहब अंबेडकर ने बहुत संघर्ष किया। आइनस्टाइन ने एक बार महात्मा गांधी के लिए एक बार कहा था कि आने वाली पीढ़ियां यकीन नहीं करेगा कि कोई ऐसा व्यक्ति हाड़-मांस में इस पृथ्वी पर कभी पैदा हुआ था। मैं जितना ही बाबा साहब के जीवन और संघर्ष के बारे पढ़ता हूं, उतना ज्यादा मुझे लगता है कि आइनस्टाइन की यही लाइन पूरी तरह से बाबा साहब अंबेडकर पर भी लागू होती है। मैं जितना ज्यादा पढ़ता हूं मुझे यकीन नहीं होता है कि कभी ऐसा व्यक्ति पैदा हुआ था और इतना संघर्ष कर सकता है और इस किस्म का काम कर सकता था।
उन्होंने कहा कि बाबा साहब महार जाति में 1891 में पैदा हुए। उन दिनों में महार जाति को अछूत माना जाता था। उनके घर में खाने को नहीं था। वो बहुत गरीब परिवार से थे। स्कूल जाते थे, तो उनको क्लास में नहीं बैठने दिया जाता था, उनको बाहर बैठाते थे। उनको घड़े से पानी नहीं पीने देते थे, उनको पीने के लिए उपर से पानी डाला जाता था। वो सख्स, जिसके घर में कुछ भी खाने को नहीं था, जिसने कदम-कदम पर छुआछूत को बर्दाश्त किया। युवा बनने के बाद वो लंदन ऑफ इकोनॉमिक स्कूल से पीएचडी करके आता है। यह कोई छोटी बात नहीं है। आज से 100 साल पहले, 1914-15 के आसपास की बात है, जब उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। तब कोई इंटरनेट नहीं था, कोई जानकारी नहीं थी। मैं सोच रहा था कि उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से फार्म भी कैसे मंगाए होंगे और आवेदन कैसे किया होगा। पहली बात तो यह कि ऐसा बच्चा, जो इतने गरीब और पिछड़े वर्ग से आता है, उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी का नाम भी कैसे सुना होगा। मैं तो यह सोच-सोच कर अचम्भित रह जाता हूं। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। इसके बाद वे लंदन ऑफ इनकोनॉमिक स्कूल में जाते हैं और वहां से दूसरी पीएचडी करते हैं। आज इंटरनेट के जमाने में इतनी सुविधाओं के बावजूद हमारे अपने बच्चे लंदन ऑफ इकोनॉमिक स्कूल में एडमिशन लेना चाहे, तो आसान बात नहीं है। उस दौरान बाबा साहब की जेब में चवन्नी नहीं थी। फिर भी वहां जाकर पढ़े। लंदन ऑफ इकोनॉमिक स्कूल में पढ़ते-पढ़ते उनके पैसे खत्म हो गए, उन्हें बीच में पढ़ाई छोड़कर आना पड़ा। उन्होंने वापस आकर पैसे इकट्ठे किए और वापस अपनी डिग्री पूरी करने गए। इसके बाद बाबा साहब देश का संविधान लिखते हैं और देश के पहले कानून मंत्री बनते हैं।
श्री केजरीवाल ने कहा कि बाबा साहब की जिंदगी से एक सीख यह मिलती है कि सपने देखो। देश के लिए सपने देखे, तरक्की के लिए सपने देखो। बड़े सपने देखे, छोटे-मोटे सपने मत देखो। विकास के लिए सपने देखो और सबके लिए सपने देखो। इस कायनात की सारी शक्तियां आपकी मदद करने लगती हैं। सब आपकी मदद करते हैं। बाबा साहब का एक सपना था कि इस देश के हर बच्चे को, चाहे वो गरीब का बच्चा हो या अमीर का बच्चा हो, सबको अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत मुसीबतें झेली थीं। वो चाहते थे कि देश आजाद होने के बाद एक गरीब परिवार के बच्चे को इतनी तकलीफ नहीं होनी चाहिए। हर बच्चे को, चाहे गरीब का हो, चाहे गरीब हो, चाहे दलित का हो, चाहे ब्राह्मण का हो, हर बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। अच्छी से अच्छी शिक्षा हर बच्चे का अधिकार होना चाहिए। लेकिन आज आजादी के 75 साल के बाद क्या हम बाबा साहब के सपने को पूरा कर पाए हैं? नहीं कर पाए हैं। आज गणतंत्र दिवस है, शुभ दिन है, पवित्र दिन है। आज हम सब लोग शपथ लेते हैं कि बाबा साहब का सपना हम पूरा करेंगे। बाबा साहब ने जो सपना देखा था कि हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए, उस सपने को हम पूरा करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश तभी विकसित होगा, जब हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलेगी। भारत तभी विश्व में नंबर वन बनेगा, जब हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलेगी। इसका कोई शॉर्ट कट नहीं है। चाहे चुनाव के दौरान हम बड़ी-बड़़ी बातें कर दें। लेकिन रास्ता बड़ा लंबा और कठिन है, हमें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। उस मेहनत में सबसे महत्वपूर्ण हर बच्चे को अच्छी शिक्षा देना है। दुनिया में कोई भी ऐसा चिकसित देश नहीं है, जहां पर सारे बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिलती है। मुझे खुशी है कि बाबा साहब का सपना पूरा करने का काम दिल्ली में शुरू हो गया है। दिल्ली सरकार ने पिछले सात साल के अंदर दिल्ली में जो सरकारी स्कूलों और शिक्षा के अंदर काम किए हैं, वो किसी क्रांति से कम नहीं है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आ रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति अगर दिल्ली आते हैं, तो उनकी पत्नी मेलानिया ट्रम्प दिल्ली के सरकारी स्कूल को देखने आती हैं। यह बहुत बड़ी बात है। हमारे सभी शिक्षकों और शिक्षा विभाग, सभी बच्चों और अभिभावकों के लिए गर्व की बात है। यह एक तरह से प्रमाणपत्र है। अगर हम कहें कि हमने शिक्षा व्यवस्था अच्छी कर दी है, तो सारे अपना ढिंढोरा पीटते ही हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति तो पूरी दुनिया में घूमते हैं। मुझे नहीं लगता है कि वो किसी देश में जाकर सरकारी स्कूल देखने जाते होंगे। लेकिन भारत में आकर दिल्ली में सरकारी स्कूल देखने आते हैं।
आजाद टंडन
जारी वार्ता
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