ममल्लपुरम, 09 अगस्त (वार्ता) भारतीय महिला टीम ने 44वें शतरंज ओलंपियाड में इतिहास रचते हुए देश का पहला महिला वर्ग पदक जीता, जबकि पुरुषों ने मंगलवार को इस प्रतिष्ठित स्पर्धा में अपना दूसरा कांस्य पदक जीता।
कोनेरू हम्पी, आर वैशाली, तानिया सचदेव और भक्ति कुलकर्णी की भारत-ए टीम ने फाइनल राउंड के मैच में अमेरिका से 1-3 की हार के बाद महिला वर्ग में कांस्य पदक हासिल किया।
हम्पी और वैशाली ने अपने गेम ड्रॉ किए जबकि तानिया सचदेव और भक्ति कुलकर्णी ने अपने गेम गंवाए।
भारत-ए के कोच अभिजीत कुंटे ने टीम की प्रशंसा करते हुए कहा, "टीम ने पिछले तीन या चार महीनों में वास्तव में कड़ी मेहनत की है और यह महिला ओलंपियाड के इतिहास में भारत का पहला पदक है। यह भारत में महिलाओं की शतरंज के लिए बहुत बेहतर दिनों की शुरुआत होनी चाहिए।"
गौरतलब है कि पहला महिला ओलंपियाड 1957 में आयोजित किया गया था। 1976 से, महिलाओं और खुले वर्गों को एक साथ आयोजित किया गया है।
पूरे आयोजन में सभी को अपने शानदार प्रदर्शन से प्रभावित करने वाली युवा भारत-बी टीम ने ओपन वर्ग में जर्मनी को 3-1 से हराकर देश को अपना दूसरा कांस्य पदक दिलाया।
इंडिया बी की अगुवाई डी गुकेश कर रहे थे जिन्होंने 9/11 का शानदार स्कोर बनाया, निहाल सरीन ने 7.5/10 स्कोर किया, प्रज्ञानानंद ने 6.5/9 और रौनक साधवानी ने भी 5.5/8 का बहुमूल्य योगदान दिया।
यह ओलंपियाड के ओपन सेक्शन में भारत का दूसरा कांस्य पदक है, जबकि भारत इससे पहले 2014 में कांस्य जीत चुका है।
गुकेश ने कहा, "कुल मिलाकर, यह एक बहुत ही सुखद आयोजन रहा है। मुझे उम्मीद नहीं थी कि हम इतना अच्छा प्रदर्शन करेंगे लेकिन यह बेहतर भी हो सकता था। अगर मैं कल अपना मुकाबला जीतता या ड्रा करता तो हमारे पास स्वर्ण पदक का एक बड़ा मौका हो सकता था, लेकिन ये चीजें खेल का हिस्सा होती हैं। मुकाबले के तुरंत बाद मैं हताश हो गया था मगर हमारे गुरु (विश्वनाथन आनंद) ने मुझे यह कहकर बेहतर स्थिति में डाला कि ये चीजें खेल में होती हैं और वह भी इन सब से गुजरे थे।"
भारतीय खिलाड़ियों ने टीम स्पर्धाओं में पदकों के अलावा व्यक्तिगत प्रदर्शन में भी खूब पदक जीते, जिसमें दो स्वर्ण, एक रजत और चार कांस्य सहित सात पदक शामिल हैं।
गुकेश और सरीन ने क्रमश: शीर्ष और दूसरे बोर्ड पर स्वर्ण जीते जबकि अर्जुन एरिगैसी ने तीसरे बोर्ड में रजत पदक हासिल किया। आर प्रज्ञानानंद (तीसरा बोर्ड), आर वैशाली (तीसरा बोर्ड), तानिया सचदेव (तीसरा बोर्ड) और दिव्या देशमुख (रिजर्व बोर्ड) ने व्यक्तिगत कांस्य पदक जीते।
भारत ने प्रतिष्ठित गैप्रिंडाशविली कप भी जीता। यह राष्ट्र को ओपन और महिला दोनों वर्गों में उनके सामूहिक प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। यह पहली बार था जब भारत ने दुनिया के सबसे बड़े शतरंज टूर्नामेंट की मेजबानी की।
शतरंज ओलंपियाड में उज्बेकिस्तान और यूक्रेन क्रमशः ओपन और महिला वर्ग के चैंपियन बनकर उभरे।
इस आयोजन ने सबसे अप्रत्याशित परिणाम उत्पन्न किए जहां शीर्ष-10 रैंकिंग की टीमों को कोई पदक नहीं मिला। भारत-ए टीम ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन वह दुर्भाग्यपूर्ण चौथे स्थान पर रहकर पदक से चूक गयी।
भारत ए ने अमेरिका को 2-2 से बराबरी पर रोक लिया। एरीगैसी ने जीत हासिल की जबकि हरिकृष्णा और विदित गुजराती को ड्रॉ पर रोक दिया गया। एसएल नारायणन ने अपना गेम गंवा दिया।
महिलाओं के वर्ग में, यूक्रेन ने स्वर्ण पदक जीता जबकि जॉर्जिया ने टाई-ब्रेक हारने के बाद रजत पदक से संतोष किया।
भारत-ए, अमेरिका और कजाकिस्तान तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन भारत-ए ने अन्य दो टीमों को पछाड़कर कांसे का तमगा हासिल किया।
11वीं वरीयता प्राप्त भारत-बी ने भी अच्छा प्रदर्शन करते हुए 16 अंकों के साथ आठवां स्थान हासिल किया जबकि भारत-सी 15 अंकों के साथ 17वें स्थान पर रही।
उज़्बेकिस्तान की टीम ने अपने देश को स्वर्ण पदक मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की क्योंकि फिडे कांग्रेस में 2026 ओलंपियाड की मेजबानी उज़्बेकिस्तान को प्रदान की गई है।
शादाब
वार्ता