नयी दिल्ली, 01 दिसम्बर (वार्ता) केंद्रीय विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आर. के. सिंह ने मंगलवार को कहा कि किसी भी संस्थान के विकास और समृद्धि के लिए नवाचार का होना आवश्यक है और हैकेथाॅन नवाचार की उस भावना को प्रदर्शित करता है राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) में गहरे तक समाया हुआ है।
श्री सिंह यहां एनटीपीसी की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडरी एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम (एनवीवीएन) की ग्रीन चारकोल हैकेथाॅन की लांचिंग कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा,“मुझे यकीन है कि एनटीपीसी प्रबंधन ने सभी युवा इंजीनियरों को यकीन दिलाया है कि नवाचार और नए विचारों को प्रोत्साहित किया जाएगा।”
उन्होंने कहा, ‘‘हैकेथॉन हमारे कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की खोज में भी एक नया प्रयोग है। इस दृष्टिकोण से हैकेथॉन में शामिल सभी प्रतियोगियों को ध्यान में रखना चाहिए कि कृषि अवशेष को चारकोल में परिवर्तित करने की प्रक्रिया में उत्सर्जन नहीं होना चाहिए।मुझे यकीन है कि हम एक ऐसी मशीन लेकर आएंगे, जो किफायती हो। कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की दिशा में एनटीपीसी का प्रयास सराहनीय है।” उन्होंने देश में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और तकनीकी उपायों को प्रोत्साहित करने के लिए उचित वातावरण बनाने का आग्रह किया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तकनीकी विकास को गति देने के लिए एनवीवीएन ने ईईएसएल के साथ मिल कर ग्रीन चारकोल हैकेथाॅन नाम से टेक्नोलाॅजी चैलेंज का आयोजन किया है। इस आयोजन का उद्देश्य नवाचारी भारतीय मस्तिष्क का उपयोग कर तकनीकी खाई को खत्म करना है। इसके प्रमुख उद्देश्य खेतों की पराली को खत्म कर हवा को साफ करना, खेती के बचे हुए चारे से नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करना, स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देना और किसानों की आय बढ़ाना है।
इस मौके पर ऊर्जा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव आशीष उपाध्याय ने कहा कि एनटीपीसी टैक्नोलाॅजी को सफलतापूर्वक लागू करने और उसका व्यवसायीकरण करने में सक्षम होगा जो समाज को लाभान्वित करने के साथ-साथ किसानों और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगा।
एनटीपीसी लिमिटेड के सीएमडी गुरदीप सिंह ने कहा,“ऊर्जा संयंत्र कोयले के सबसे बडे़ उपभोक्ता होते हैं। 1000 मेगावाॅट के प्लांट में प्रतिवर्ष 50 लाख टन कोयले की खपत होती है। देश की कुल कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन क्षमता दो लाख मेगावाॅट की है जिसमें सैद्धांतिक तौर पर करीब 10 हजार लाख टन कोयले की प्रतिवर्ष खपत होती है। इसमें से 10 प्रतिशत भी अगर टेरिफाइड चारकोल से आ जाए तो इस ईंधन का एक हजार लाख टन होगा। इसके लिए करीब 16 सौ लाख टन खेती के अपशिष्ट की आवश्यकता होगी।”
उन्होंने कहा,“यह इतनी मात्रा है जो देश में होने वाले पूरे कृषि कचरे को साफ कर देगी और पराली जलाने की जरूरत नहीं पडे़गी और इससे प्रतिवर्ष 20,000 मेगावाॅट की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादित होगी और 50,000 करोड़ रुपए का राजस्व उत्पन्न होगा।”
स्थानीय किसानों द्वारा कृषि अवशेष को जलाने से होने वाला वायु प्रदूषण देश के लिए चिंता का विषय बन गया है। ऐसे में एनवीवीएन ऐसी तकनीकें तलाश रहा है, जो कृषि कचरे को इस रूप में बदल सके जो पावर प्लांट्स में काम आ सके। यह तकनीकें ग्रीन चारकोल हैकेथाॅन के जरिए तलाशी जा रही हैं। इसका एक विकल्प टोरेफेक्शन है जो कृषि कचरे को ग्रीन चारकोल में बदल देता है।
टंडन.संजय
वार्ता