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कृषि को ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव से बचाने के लिए नवाचार जरूरी : कोविंद

कृषि को ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव से बचाने के लिए नवाचार जरूरी : कोविंद

समस्तीपुर 15 नवंबर (वार्ता) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ग्लोबल वॉर्मिंग के खतरों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुये आज कहा कि कृषि क्षेत्र नवाचार के माध्यम से इस चुनौती का सामना करने के साथ ही उत्पादकता में वृद्धि कर सकता है।

श्री कोविंद ने यहां डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि ग्लोबल वार्मिंग खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुका है और विश्व के प्रत्येक क्षेत्र में इसके असर को देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके आंशिक प्रभाव से ही काफी कम समय में दुनिया में जानमाल की भारी क्षति हुई है।

राष्ट्रपति ने कहा, “अफ्रीका के एक छोटे से देश में ग्लोबल वॉर्मिंग का प्रभाव 0.5 प्रतिशत से कम रहने पर ही एक नया बैक्ट्रिया उत्पन्न हो गया और उसके प्रजनन की रफ्तार कई गुना अधिक रही तथा यह केवल चार से पांच दिन में आठ से 10 हजार पर पहुंच गया।” उन्होंने कहा कि वास्तव में ग्लोबल वॉर्मिंग खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इसके मद्देनजर अब समय आ गया है कि इस चुनौती का सामना करने के लिए ठोस कदम उठाये जाय ।

श्री कोविंद ने कहा कि इस चुनौती का सामना करने के लिए देश में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन बनाने की पहल की गई है, जिससे अधिक से अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन हो सकेगा। इस दिशा में भारत और फ्रांस ने मिलकर शुरुआत कर दी है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का सचिवालय नई दिल्ली में स्थापित किया गया है।

सूरज

जारी (वार्ता)

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