भोपाल, 27 जुलाई (वार्ता) मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने आज कहा
कि ई-टेंडरिंग घोटाला, मध्यप्रदेश के इतिहास में हुए अब तक के सबसे बड़े घोटालों में से एक है।
कांग्रेस की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार श्रीमती ओझा ने अपने वक्तव्य में कहा कि इन ई-टेंडरों की समूची प्रक्रिया में तत्कालीन भाजपा सरकार के संरक्षण के चलते अधिकारियों ने मंत्रियों और भाजपा नेताओं के चहेतों को बेजा लाभ पहुंचाने के लिए तरह-तरह की छेड़छाड़ की। इस मामले में हुई एक पूर्व मंत्री के निज-सहायकों निर्मल अवस्थी और वीरेन्द्र पांडे की गिरफ्तारी से यह तय हो गया है कि कांग्रेस पार्टी की कमलनाथ सरकार, अपने वचन-पत्र में ई-टेंडरिंग घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने के अपने वचन के प्रति प्रतिज्ञाबद्ध है।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 5 मई 2018, को मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्राॅनिक विकास निगम के प्रबंध संचालक मनीष रस्तोगी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हो रही गड़बड़ियों को उजागर किया गया था। इस रिपोर्ट से उजागर हुए घोटाले के बाद इस प्रक्रिया के माध्यम से हुए 9 टेंडर्स को रद्द कर, मात्र दिखावे के लिए, उनका ब्यौरा भी मांगा गया था। इस पूरे मामले कोे 6 सितंबर 2018, को एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक ने भी प्रमुखता से छापा था।
उन्होंने कहा कि श्री रस्तोगी की रिपोर्ट पर प्रदेश के मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने 14 मई 2018 को राज्य पुलिस की, आर्थिक अपराध शाखा को भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी इलेक्ट्राॅनिक रिकाॅर्ड्स में हेरफेर सहित हैकिंग के खिलाफ मामला दर्ज करने के निर्देश दिये थे। इन कड़े निर्देशों के बावजूद तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा इस गंभीर मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई और न ही मामले से संबंधित अहम सबूतों, जैसे संबंधित सर्वर, कम्प्यूटर्स, हार्ड डिस्क, लैपटाॅप, पैन ड्राइव्स इत्यादि को समय रहते जब्त किया गया, इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार ने इस बीच दोषियों को अहम सबूतों को मिटाने का पर्याप्त अवसर जान-बूझ कर दिया।
भाजपा की पिछली प्रदेश सरकार की कार्यशैली और मंशा पर आरोप लगाते हुए श्रीमती ओझा ने कहा कि आर्थिक अपराध शाखा ने बेहद लचर रवैया अपनाते हुए मुख्य सचिव से मिले निर्देशों के एक महीने बाद 21 जून 2018, को एक प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की और घोटाले के बावजूद, आर्थिक अपराध शाखा द्वारा प्रारंभिक जांच में ढीलाई बरती गई और पूरे घोटाले को ‘‘मैनेज’’ करने के लिए इस जांच में चहेते अधिकारियों की नियुक्तियां भी की गईं।
उन्होंने कहा कि अपने दो निजी सहायकों की गिरफ्तारी से बौखलाये पूर्व मंत्री और भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा की इस मामले में व्यक्त की गई प्रतिक्रिया बिल्कुल ‘‘चोर की दाढ़ी में तिनका’’ जैसी है। वे आश्वस्त रहें कि प्रदेश में अब कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की ईमानदार सरकार है।
नाग
वार्ता